संवाददाता, सीवान
राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम भारत में वायरल हेपेटाइटिस की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एक एकीकृत पहल है, जिसका उद्देश्य सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 3.3 को प्राप्त करना है, जिसका उद्देश्य-2030 तक वायरल हेपेटाइटिस को समाप्त करना है. यह हेपेटाइटिस के सभी प्रकार की पहचान, रोकथाम और उपचार से लेकर परिणामों की मैपिंग तक की पूरी श्रृंखला को कवर करने वाली एक व्यापक योजना है. कार्यक्रम के लिए परिचालन दिशा-निर्देश, वायरल हेपेटाइटिस परीक्षण के लिए राष्ट्रीय प्रयोगशाला दिशा-निर्देश और वायरल हेपेटाइटिस के निदान और प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय दिशा-निर्देश भी जारी किए गये थे .
सदर सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में नहीं होती है जांचसदर अस्पताल सहित जिले के लगभग सभी सरकारी अस्पतालों में हेपेटाइटिस की जांच की सुविधा लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना के तहत सभी गर्भवती महिलाओं कि भी अनिवार्य रूप से वायरल लोड यानी हेपेटाइटिस की जांच करनी अनिवार्य है. ब्लड की सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हेपेटाइटिस की जांच के लिए एलिजा रीडर लगा दिया गया है. सदर अस्पताल के पैथोलॉजी को भी सामान्य मरीजों के साथ गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए एलिजा रीडर लगाया गया है, लेकिन यहां पर हेपेटाइटिस की जांच नहीं की जाती है. कर्मचारी जब अच्छे मूड में होते है तो रैपीड किट से मरीजों की हेपेटाइटिस जांच कर देते है. एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के तहत जिला सर्वेक्षण इकाई के पास भी सरकारी अस्पतालों में जांच में संक्रमित मिले हेपेटाइटिस मरीजों का सही डाटा उपलब्ध नहीं रहता है.
क्या है हेपटाइटिस बीमारी यह यकृत की बीमारी है. वायरल संक्रमण या यकृत के हानिकारक पदार्थों संपर्क में आने से यह बीमारी होती है. पीलिया, ज्यादा थकान, भूख कम लगना, पेट फूलना इसके प्रमुख लक्षण हैं. हेपेटाइटिस बी से संक्रमित अधिकांश लोगों को वायरस से लड़ने और संक्रमण से पूरी तरह ठीक होने में दो माह लगते हैं. इसके क्रोनिक होने पर जान जाने का खतरा रहता है. इसी तरह हेपेटाइटिस सी वायरस संक्रमित व्यक्ति के रक्त, लार, वीर्य और योनि से निकलने वाले तरल पदार्थों में पाया जाता है. लंबे समय तक अल्कोहल लेने वालों को अल्कोहलिक हेपेटाइटिस हो जाता है. हेपेटाइटिस डी उन लोगों को होता है, जो पहले से हेपेटाइटिस बी से संक्रमित होते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायरल हेपेटाइटिस को टीबी व एड्स से भी खतरनाक माना है. वायरल हेपेटाइटिस में हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई आते हैं. भारत में एक करोड़ से अधिक हेपेटाइटिस सी के मरीज हैं. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक 2.85 प्रतिशत मौतें इसकी वजह से हुई हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों ने वायरल हेपाटाइटिस को वर्ष 2030 तक समाप्त करने का संकल्प लिया था. इसी क्रम में भारत सरकार ने भी वर्ष 2030 तक वायरल हेपेटाइटिस के उन्मूलन की दिशा में प्रतिबद्धता जताते हुए राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया है. मुझे नहीं थी जानकारी नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम के तहत मरीजों का इलाज सदर अस्पताल में नहीं होता है, इसकी जानकारी मुझे नहीं थी. बहुत जल्द ही सदर अस्पताल में हेपेटाइटिस संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए ट्रीटमेंट सेंटर की व्यवस्था की जाएगी.डॉ श्रीनिवास प्रसाद, सिविल सर्जन, सीवान
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