स्कूलों में खेल सामग्री हो रही है बर्बाद
महाराजगंज प्रखंड में बिना खेल ट्रेनर के स्कूली बच्चे कैसे मेडल जीतेंगे. यह सवाल हर अभिभावक के मन में पैदा होने लगा है,जिन्होंने पढ़ाई के साथ अपने बच्चों को खेल मैदान में पसीना बहाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं .
महाराजगंज. महाराजगंज प्रखंड में बिना खेल ट्रेनर के स्कूली बच्चे कैसे मेडल जीतेंगे. यह सवाल हर अभिभावक के मन में पैदा होने लगा है,जिन्होंने पढ़ाई के साथ अपने बच्चों को खेल मैदान में पसीना बहाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं .वर्ष 2006 से अब तक मुख्यमंत्री खेल विकास योजना से 19 स्कूल परिसर में खेल मैदान और खेल सामग्रियां उपलब्ध कराये गये हैं, लेकिन ट्रेनर के अभाव में उपलब्ध संसाधन बर्बाद हो रहे हैं. वर्षों पहले मुख्यमंत्री खेल विकास योजनाओं की शुरुआत की गई थी, जिसका उद्देश्य स्कूली बच्चों में खेल के प्रति रुचि बढ़ना है. इस योजना के अंतर्गत अलग-अलग क्षेत्र के स्कूलों में विभिन्न खेल मैदान व एथिलेटिक्स ट्रैक तैयार किये गये हैं, जो कोच, ट्रेनर के अभाव में मवेशियों का चारागाह बन रहा है. स्थानीय खेलप्रेमियों का कहना है कि स्टेडियम और खेल मैदान तैयार करने के नाम पर दीवार व जैसी-तैसी मिट्टी भराई कर दी गई है. यहीं कारण है कि निर्माण के दो वर्षों के अंदर चन्द्रशेखर इंडोर स्टेडियम क्षतिग्रस्त हो गयी थी. इसके बावजूद अब तक स्टेडियम और मैदानों में खेल आयोजन के लिए खेल संबंधित ट्रेनरों की व्यवस्था नहीं की गयी है. नतीजतन खेल मैदान और स्टेडियम पशुओं के लिए चारागाह बन कर यह गया है. पाठ्यक्रम में खानापूर्ति के लिए खेल घंटी- सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रमों में खानापूर्ति के लिए खेल घंटी है. 40 मिनट की खेल घंटी में कबड्डी, फुटबॉल, बॉलीवाल, क्रिकेट, टेनिस, टेबल टेनिस, हॉकी, लंबी जम्प, खो-खो, एथिलेटिक्स जैसे मैदान आधारित खेलों का आयोजन संभव नहीं है. लगभग मैदान आधारित खेल आयोजन स्कूलों में समाप्त हो गया है. कुछ स्कूलों को छोड़कर ऐसे खेलों का आयोजन सिर्फ कागजों और रजिस्टरों में हो रहे हैं. इससे स्कूली बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो रहे है. हालांकि स्कूलों में नियमित खेल आयोजन कराने के लिए खेल और फिजिकल शिक्षकों का प्रावधान हैं, लेकिन ये खेल टीचरों द्वारा बच्चों को ब्लैक बोडों पर ही खेल की महत्ता और विशेषताओं को समझाते व बताते देखे जाते हैं.
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