तेतहली की बांसुरी की तान सुन रहे हैं मॉरीशस के लोग

The people of Mauritius are listening to the sound of Tetahli's flute.

By Prabhat Khabar News Desk | March 31, 2024 9:08 PM

संवाददाता बड़हरिया. प्रखंड के तेतहली की मिसकार जाति के लोगों की जिंदगी संगीत के बदौलत सरपट दौड़ रही है. बांसुरी बनाने की महारत से इनकी जिंदगी में खुशियां लौट आयी हैंं. कल तक मुफलिसी की जिंदगी बसर कर रहे ये कारीगर अपने हाथों के हुनर से अपना नसीब रोशन कर रहे हैंं., मॉरीशस, गुयाना सूरीनाम सहित अन्य देशों व पूरे हिंदुस्तान के महानगरों में अपनी कला का लोहा मनवा चुके हैं.यहां की महिलाएं भी बांसुरी बनाने में महारत रखती हैं,वहीं पुरुष बांसुरी शास्त्रीय संगीत व पुरबिया तान निकालने में माहिर हैं. असमिया बांस, नरकट व अरहर के डंटल से बांसुरियों को मूर्त रुप देने वाली इन महिलाओं के हाथों में गजब का हुनर है. बांसुरी को आकर्षक व खूबसूरत बनाने की जिम्मेवारी महिलाओं को है तो उन्हें देश के विभिन्न तीर्थस्थलों,ऐतिहासिक स्थलों व देश के मशहूर शहरों में अपनी मनमोहक व सुरीली तान से लोगों को अपनी ओर खींचने व उसे बेचने का दायित्व पुरुष वर्ग को है.ऐसे तो इन शिल्पकारों के कद्रदान देश के सभी हिस्सों में हैं.लेकिन गोवा,मुम्बई, चेन्नई, हुबली,ग्वालियर, नासिक,पूणे आदि इनके कद्रदान बहुत हैं. देश के सभी प्रमुख पर्यटन स्थलों में आने वाले विदेशी पर्यटक इनकी कमाई के मुख्य स्रोत हैं. इनकी संगीत-लहरी में रमने वाले ये पर्यटक इनकी बांसुरी को मुंहमांगी कीमत देते हैं.चाहे फिल्मों के गीत-संगीत होंं या शास्त्रीय संगीत या लोक संगीत हो,इन्हें बखूबी आता है .पहले इस जाति के लोग राजा-महाराजाओं व फिर जमींदारों के लिए चिड़िया पकड़ने का काम करती थी. इसलिए इस जाति का नाम मीर शिकार था.जो बाद में अपभ्रंश होकर मिसकार हो गया. लेकिन इस जाति ने बदलते परिवेश व परिस्थिति के अनुसार अपने आपको ढालकर ऐसा बना लिया कि आज भी समाज में इनकी पूछ बरकरार है. तेतहली मो इब्राहिम, मो दिलदार, अरमान,मो असलम,मैनुद्दीन, नूर मोहम्मद ,मंजर,अली अख्तर, मंजूर, संजूर सहित कई ऐसे नाम हैं, जो न केवल बांसुरी बनाने में माहिर हैं.बल्कि इन्हें अपनी बांसुरी की कर्णप्रिय तानों से लोगों को लुभाने की महारत है. मो इब्राहिम कहते हैं कि भले देश व विदेश में हमारे पारखी व कद्रदान हैं.लेकिन सरकार ने उनकी कला को जीवंत रखने की दिशा में आजतक कोई कारगर कदम नहीं उठा पायी है. कारीगर व कलाकार इस जाति को बतौर प्रोत्साहन कुछ नहीं मिल सका है. अपने हुनर के बदौलत लोगों के दिलों पर राज कर रही इन कारीगरों ने जीने की राह बदल ली है.

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