Siwan News:Siwan News:मिट्टी के दीये की मांग बढ़ने की उम्मीद में चाक की गति हो गयी तेज

Siwan News:Siwan News:दीपावली व दीये का अन्योन्याश्रय संबंध है. 31 अक्तूबर को रोशनी का त्योहार दीपावली है. ऐसे में कुम्हार की चाक की गति काफी तेज हो गयी. हालांकि दीवाली की तैयारी में सभी जुटे हैं, लेकिन दीये बनाने का दारोमदार तो कुम्हार जाति के लोगों पर ही है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 24, 2024 10:33 PM

सीवान. दीपावली व दीये का अन्योन्याश्रय संबंध है. 31 अक्तूबर को रोशनी का त्योहार दीपावली है. ऐसे में कुम्हार की चाक की गति काफी तेज हो गयी. हालांकि दीवाली की तैयारी में सभी जुटे हैं, लेकिन दीये बनाने का दारोमदार तो कुम्हार जाति के लोगों पर ही है. कुम्हार लोगों के घरों को रोशन करने के लिए मिट्टी के दीये बनाने व उन्हें अंतिम रूप देने में लगे हैं. कुम्हारों का पूरा परिवार दिन-रात एक कर दीये बनाने में जुट गया है. चिकनी मिट्टी को गीला कर अपने हाथों की कला से चाक पर दीया बनाने व उन्हें सुखाने-पकाने का काम तेजी में चल रहा है. सामाजिक संगठनों के आह्वान के बाद समाज में मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ी है. लेकिन, अत्याधुनिक तकनीक के अभाव संसाधनों की कमी से मांग के अनुरूप दीयों की आपूर्ति कर पाना मुश्किल लग रहा है. ऐसा मानना है नूराछपरा के अंबिका पंडित व दसईं पंडित का. अंबिका पंडित बताते हैं कि मिट्टी खरीदनी पड़ रही है व जलावन भी महंगा पड़ रहा है. मिट्टी के सामान के टूटने-फूटने का खतरा भी ज्यादा है. वे कहते हैं कि आंव से जितना निकल गया है, उतना ही अपना हुआ. वे कहते हैं कि दीपावली में मिट्टी के दीये की मांग काफी है. इसलिए बीते कई दिनों से दीये बना रहे हैं. मिट्टी के दीये के अलावा मिट्टी के ढकना, मिट्टी के घोड़े आदि बर्तन कुम्हार बना रहे हैं. विदित हो कि अब आधुनिक ढंग से दिवाली मनायी जाने लगी. लोग चाइनीज झालर,बत्ती आदि का ज्यादा प्रयोग करने लगे हैं. इसके चलते दीया बनाने वाले कुम्हारों का परंपरागत व्यवसाय पहले की अपेक्षा काफी मंदा हो चला है. फिर भी कुम्हार लक्ष्मी पूजा के लिए मां लक्ष्मी की मूर्ति, दीया व ढिबरी आदि बनाने में लगे हुए हैं. कृष्णा पंडित ने बताया कि हमारे घर में दशकों से दीया, कलश, ढक्कन, हड़िया, पतुकी, कुल्हड़ आदि बन रहे हैं. लेकिन, अब लोगों का क्रेज कम हो रहा है. मिट्टी के दीयों की खरीदारी के लिए ग्राहक हर साल लगातार कम होते जा रहे हैं. वे कहते हैं कि कुम्हारों के रोजगार खत्म हो रहे हैं, तो कहीं संस्कृति का क्षय हो रहा है. आज हमें अपनी इन संस्कृतियों को सहेज कर रखने की आवश्यकता है. ऐसे तो नूराछपरा में 20 घर कुम्हार हैं, लेकिन अंबिका पंडित, दसई पंडित, उमाशंकर पंडित, मैनेजर पंडित, सत्यनारायण पंडित, ललन पंडित, राजदेव पंडित सहित 10 घरों में ही दीये बनाये जाते हैं. बाकी लोगों ने अपना पुश्तैनी पेशा छोड़ दिया. प्रखंड के तीनभीड़िया, पहाड़पुर, सदरपुर, हरिहरपुर लालगढ़, बालापुर, खानपुर, सुंदरी, जोगापुर, दीनदयालपुर सहित दर्जनों गांवों के कुम्हार दीपावली को लेकर दीये बनाने में जुटे हैं. उन्हें उम्मीद है कि लोग चाइनीज दीयों, एलइडी, झालर, बैटरी संचालित रोशनी, डिजाइनरों से विशेष कृतियों आदि को तिलांजलि देकर मिट्टी के दीये जलायेंगे.

नौनिहालों ने कहा-मिट्टी के दीयों से घरों को करेंगे रोशन

भगवानपुर हाट.

राजकीय कन्या मध्य विद्यालय, हुलेसरा भगवानपुर हाट के सैकड़ों छात्र गुरुवार को मिट्टी के दीये की अधिक-से-अधिक उपयोग कर उजाला फैलाने की शपथ ली. प्रधान शिक्षक ब्यास मुनि यादव ने कहा कि मिट्टी के दीये जलाने से सूर्य और चंद्रमा की कमजोरी दूर होती है तथा इसके साथ ही घर के हानिकारक बैक्टीरिया खत्म होते हैं. समाजसेवी पप्पू यादव ने बताया कि दीपावली पर मिट्टी के दीये जलाने से न सिर्फ रोशनी होती है, बल्कि इसकी लौ से जलकर चारों ओर से पहले किट, पतंग सहित रोगाणु भी समाप्त हो जाते हैं. वहीं अधिक-से-अधिक रोजगार के भी अवसर पैदा होते हैं. शिक्षिका गायत्री कुमारी ने बताया कि मिट्टी के दीये जलाने से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है और जो मिट्टी के दीये बनाने के रोजगार से जुड़े हैं उनके घरों में भी अधिक खुशियां होंगी. आठवीं की छात्रा स्वीटी कुमारी ने कहा कि इस दीपावली में मिट्टी के दीये का उपयोग करने के लिए जागरूक करने की अपील प्रभात खबर के उस सोच को दर्शाती है कि जरूरतमंद दीये बनाने वाले के घर भी रोशन हो सके. यह अपील इस बात का द्योतक है कि समाज की कल्पना एक दूसरे से जुड़े बिना संभव नहीं है. सचिन कुमार ने कहा कि दीपावली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा मिट्टी के दीये से ही होती है. मिट्टी के दीये के उपयोग की अपील स्वदेशी के नारे को बुलंद करती है. शिल्पी कुमारी ने कहा कि मिट्टी के दीये का प्रयोग करने से इको फ्रेंडली दीपावली को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही गरीबों को रोजगार भी मिलेगा. किरण कुमारी ने कहा कि मिट्टी के दीये खरीदने तथा घरों में जलाने से एक समाज विशेष को रोजगार का अवसर भी मिलता है. मौके पर शिक्षक नौशाद अंसारी, विमल मांझी, अन्नी कुमारी, सुनीता कुमारी, विद्युतमां कुमारी, एमडी समीम और छात्र में किरण कुमारी, अनिकेत, नितेश, प्रिंस, विश्वजीत, साक्षी सहित अन्य लोग उपस्थित रहे.

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