बिहार के 6 शहर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के रूप में हो रहे विकसित, डंपिंग यार्ड में पड़े कचरे का हो रहा ट्रीटमेंट
कचरा डंपिंग यार्डों में कचरे की प्रोसेसिंग नहीं होने से धीरे-धीरे यह सड़ कर आसपास के क्षेत्र में दुर्गंध फैलाता है. इस कचरे में कंक्रीट, पाॅलीथिन, रबड़, कांच, मिट्टी आदि सभी कुछ मिला होने से पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदायक होता है.
सुमित, पटना. लीगेसी वेस्ट यानि डंपिंग यार्डों में वर्षों से जमा हो रहे लाखों टन ठोस कचरे का अब बायो माइनिंग पद्धति से उपचार कराया जा रहा है. इसके तहत पहले इस कचरे की प्रोसेसिंग कर उससे अलग-अलग हिस्से में बांटा जाता है और फिर उनका लाभकारी उपयोग सुनिश्चित होता है. नगर विकास एवं आवास विभाग का दावा है कि मुजफ्फरपुर नगर निगम में लीगेस वेस्ट को बायो माइनिंग द्वारा समाप्त कर लिया गया है, जबकि पटना, गया एवं मुंगेर में इस पर काम चल रहा है.
एनजीटी के निर्देश पर चल रहा काम
दरअसल कचरा डंपिंग यार्डों में कचरे की प्रोसेसिंग नहीं होने से धीरे-धीरे यह सड़ कर आसपास के क्षेत्र में दुर्गंध फैलाता है. इस कचरे में कंक्रीट, पाॅलीथिन, रबड़, कांच, मिट्टी आदि सभी कुछ मिला होने से पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदायक होता है. कई बार इस कचरे में आग लगने से सड़क व क्षेत्र में धुंआ फैल जाता है. इस समस्या को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस संबंध में सभी राज्य सरकारों को विस्तृत निर्देश जारी किया है.
प्लांट लगा कर कचरे का होगा पृथककरण
निकायों में जगह-जगह कचरे के इस ढेर को साफ करने के लिए कई निकायों में लीगेसी वेस्ट प्लांट लगाने पर भी काम हो रहा है. यह प्लांट पुराने कचरे से कंक्रीट, पाॅलीथिन एवं मिट्टी को अलग करेगा. साथ ही इससे निकलने वाला आरडीएफ (जलने वाला कूड़ा ईंधन) सीमेंट फैक्ट्रियों को बेचा जा सकेगा, जिससे राजस्व प्राप्त होगा. वेस्ट बिल्डिंग मेटेरियल को लैंडफिल में डाला जायेगा. कांच व अन्य आइटम को प्रोसेस कर उपयोग में लिया जायेगा. कूड़े का निस्तारण हो जाने से इसकी वजह से बेकार पड़ी भूमि इस्तेमाल योग्य हो सकेगी. वहीं, अन्य स्थान जहां पर पुराने कूड़े के ढ़ेर हैं, उस कूड़े का भी निस्तारण हो जायेगा. वहां की भूमि इस्तेमाल योग्य हो सकेगी.
छह शहर मॉडल ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के रूप में हो रहे विकसित
विभाग के मुताबिक राज्य के छह शहर मुजफ्फरपुर, बिहारशरीफ व मुंगेर नगर निगम, सुपौल नगर परिषद और राजगीर एवं बोधगया नगर पंचायत में ठोस अपशिष्ट, प्लास्टिक अपशिष्ट तथा निर्माण व विध्वंस अपशिष्ट को मानकों के अनुसार विकसित किया जा रहा है. राज्य के 141 शहरों के सभी वार्डों में डोर टू डोर कचरा संग्रहण का कार्य किया जा रहा है. 34 नगर निकायों में 51 मेटेरियल रिकवरी फैसिलिटी के जरिये ठोस अपशिष्ट एवं सूखे कचरे को प्रसंस्करण के लिए अलग किया जाता है. इसके साथ ही 86 नगर निकाय में 185 कंपोस्ट यूनिट क्रियाशील है, जिसमें गीले कचरे से खाद बनायी जा रही है.