पटना. किसी राज्य के बजट में योजना यानी स्कीम मद के बजट का आकार काफी मायने रखता है. यदि स्कीम मद के बजट का आकार स्थापना एवं प्रतिबद्ध बजट से बड़ा होता है, तो इसे प्रोग्रेसिव बजट माना जाता है. यानी राज्य सरकार के पास विकास के लिए अधिक राशि होती है. इसके ठीक उलट यदि स्थापना एवं प्रतिबद्ध मद का आकार स्कीम से बड़ा होता है, तो उसे अच्छा नहीं माना जाता है.
योजना बजट का आकार इस वर्ष भी हो सकता है कम
बिहार में पिछले कुछ साल से स्कीम बजट का आकार स्थापना एवं प्रतिबद्ध से बड़ा होता था, लेकिन यह स्थिति वर्ष 2019 -20 के बाद से बदलने लगी है. साल 2019 -20 के बजट में भी योजना मद के लिए बजटीय प्रावधान स्थापना एवं प्रतिबद्ध मद से अधिक था. उसके बाद वित्तीय वर्ष 2020 -21 से लेकर वित्तीय वर्ष 2022 -23 में योजना बजट का आकर कम होता गया. वित्तीय वर्ष 2023 -24 के बजट में भी यह पैटर्न देखने को मिल सकता है. कारण सरकार ने अधिक नौकरी देने का वादा लोगों से किया है.
साल दर साल कम होता गया स्कीम का बजट
-
वर्ष …… स्कीम मद का प्रावधान ….. स्थापना एवं प्रतिबद्ध का प्रावधान
-
2020 – 21 ….. 105766 ….. 105995
-
2021- 22 ….. 100518 ….. 117783
-
2022- 23 ….. 100230 ….. 137460
-
नोट : आंकड़ें करोड़ रुपये में
क्यों होती है ऐसी स्थिति
महंगाई के कारण सरकारी कर्मियों के वेतन-भत्ते में लगातार बढ़ोतरी होती रहती है. धीरे-धीरे सरकार को स्थापना एवं प्रतिबद्ध के लिए अधिक राशि का प्रावधान करना पड़ता है. दूसरा कारण है सरकार द्वारा लगातार नियुक्ति की प्रक्रिया चलती रहती है और उनके लिए भी बजट में सैलरी का प्रावधान करना पड़ता है.