मुजफ्फरपुर में बेसहारा मरीजों का सहारा बनेगा एसकेएमसीएच, अत्याधुनिक वार्ड का किया जा रहा निर्माण
एसकेएमसीएच के बेसहारा वार्ड में अन्य वार्ड की तरह 24 घंटे पैरामेडिकल स्टाफ व स्टाफ नर्स तैनात रहेगी, जो कि भर्ती मरीज की देखभाल करेंगे. यही नहीं, बेसहारा वार्ड में भर्ती मरीज को अस्पताल प्रबंधन की तरफ से तीनों टाइम खाना व समय पर दवा खिलाने के लिए बकायदा एक केयर टेकर भी तैनात किया जायेगा.
मुजफ्फरपुर. जिसका कोई नहीं, उन लोगों का एसकेएमसीएच सहारा बनेगा. एसकेएमसीएच में बेसहारा मरीजों के लिए अलग से वार्ड बनाये जा रहे हैं. अस्पताल में ऐसे मरीजों के लिए अलग से वार्ड बनाकर उनकी बेहतर देखभाल की व्यवस्था की जायेगी. एसकेएमसीएच के मेडिसीन वार्ड के पास स्थित खाली जमीन में भवन बनाया जा रहा है. बेसहारा वार्ड में अन्य वार्ड की तरह 24 घंटे पैरामेडिकल स्टाफ व स्टाफ नर्स तैनात रहेगी, जो कि भर्ती मरीज की देखभाल करेंगे. यही नहीं, बेसहारा वार्ड में भर्ती मरीज को अस्पताल प्रबंधन की तरफ से तीनों टाइम खाना व समय पर दवा खिलाने के लिए बकायदा एक केयर टेकर भी तैनात किया जायेगा. शुरुआत में बेसहारा वार्ड में 30 महिला व 30 पुरुष बेड की व्यवस्था होगी. लेकिन, बेसहारा मरीजों की संख्या बढ़ने पर लावारिस वार्ड में बेड की संख्या बढ़ायी जायेगी.
अधीक्षक का विचार ले रहा मूर्त रूप
एसकेएमसीएच के अधीक्षक बाबू साहब झा के मन में अस्पताल में लावारिस वार्ड बनाने का विचार उस समय आया जब वह बीते दिनों रूटीन में वार्ड का निरीक्षण कर रहे थे. उन्होंने देखा कि एक बेसुध व्यक्ति को स्थानीय लोग इलाज के लिए एसकेएमसीएच के वार्ड में छोड़ गये हैं, लेकिन इलाज के दौरान लावारिस व्यक्ति के पास कोई परिजन मौजूद नहीं था. अस्पताल स्टाफ ही लावारिस मरीज की देखभाल कर रहा था. उस वक्त उनके मन में विचार आया कि अस्पताल में अलग से लावारिस मरीज के इलाज व देखभाल के लिए वार्ड बनाना चाहिए.
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हर महीने आते हैं पांच से सात लावारिस मरीज
एसकेएमसीएच में हर महीने करीब पांच से सात बेसहारा मरीजों को उपचार के लिए लाया जाता है. इनमें से महज 1 से 2 मरीजों की ही पहचान हो पाती है. कई बेसहारा मरीजों की तो अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु तक हो जाती है. इसी को ध्यान में रखते हुए मरीज की बेहतर देखभाल के लिए अस्पताल में वार्ड बनाया जा रहा है. एसकेएमसीएच के अधीक्षक बाबू साहब झा ने कहा कि एसकेएमसीएच के मेडिसीन वार्ड के पास जमीन खाली थी, जहां 30 लाख की लागत से बेसहारा मरीजों के लिए एक वार्ड स्थापित किया जा रहा है. इस वार्ड में बेसहारा मरीज का बेहतर इलाज व बेहतर देखभाल की जायेगी.
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