दूषित पानी के मामले में स्मार्ट सिटी भागलपुर बिहार में नंबर वन, आर्सेनिक 10 गुना तो आयरन दोगुना ज्यादा
जानकारों के अनुसार यहां के ग्राउंड वाटर में आर्सेनिक, फ्लोराइड व आयरन की काफी मात्रा थी हीं, अब नाइट्रेट की मात्रा भी बढ़ गयी है. हालात यह है कि ग्राउंड वाटर में नाइट्रेट की मात्रा के मामले में भागलपुर सूबे का चौथा शहर बन गया है.
ब्रजेश,भागलपुर. बिहार का इकलौता जिला है भागलपुर, जहां के पानी में चार तरह के दूषित पदार्थ हैं. पानी की वजह से यहां बीमार लोगों की संख्या बढ़ी है. खास कर पेट के मरीजों में काफी वृद्धि हुई है. जानकारों के अनुसार यहां के ग्राउंड वाटर में आर्सेनिक, फ्लोराइड व आयरन की काफी मात्रा थी हीं, अब नाइट्रेट की मात्रा भी बढ़ गयी है. हालात यह है कि ग्राउंड वाटर में नाइट्रेट की मात्रा के मामले में भागलपुर सूबे का चौथा शहर बन गया है.
आयरन मानक से है दोगुना
नियमत: भूगर्भ जल में फ्लोराइड की मात्रा अधिकतम 1.5 पीपीएम होना चाहिए, पर है दोगुना. इसी तरह आर्सेनिक की मात्रा अधिकतम 0.010 पीपीएम होनी चाहिए, पर मानक से 10 गुना ज्यादा है. आयरन भी मानक से दोगुना है. अब नाइट्रेट की मात्रा भी ज्यादा मिलने लगी है. जानकारों के अनुसार पानी में नाइट्रेट की मात्रा 350 मिग्रा प्रति लीटर से ज्यादा है. इसका असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है.
निगम के पानी पर विश्वास नहीं जमा
ऐसी स्थिति में नगर निगम को लोगों के विश्वास पर खड़ा उतरना चाहिए था, पर वह विश्वास नहीं जमा सका है. इसके पीछे भी कारण है. दरअसल, निगम जहां से पानी लेता है, वह नदी की मुख्य धारा नहीं, मरगंग है. इसमें भी शहर का कचरा नाले से गिरता है. इस कारण ट्रीटमेंट कर सप्लाई के बाद भी लोगों का इस पर विश्वास नहीं होता. निगम द्वारा पानी के जांच पर भी सवाल उठता रहा है.
जाने क्या है दूषित पदार्थ व राज्य में जिले का स्थान
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ग्राउंड वाटर में नाइट्रेट की मात्रा के मामले में राज्य में जिले का चौथा स्थान
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आर्सेनिक, फ्लोराइड व आयरन के मामले में राज्य में जिले का पहला स्थान
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जिले में भूगर्भ जल में फ्लोराइड मानक से दोगुना
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आर्सेनिक मानक से 10 गुना और आयरन मानक से है दोगुना
पानी के संबंध में कहते हैं डॉक्टर विनय कुमार झा
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पानी में इन दूषित पदार्थों के पाये जाने के संबंध में वरीय चिकित्सक डॉक्टर बिनय कुमार झा ने बताया कि इससे कई समस्याएं होती हैं.
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अत्यधिक आर्सेनिकयुक्त पानी के सेवन से उल्टी, पेट दर्द व डायरिया की संभावना बढ़ जाती है. लंबे समय तक उपयोग करने पर त्वचा के रंग में भी बदलाव होता है. बल्ड प्रेशर व नस की समस्या भी हो सकती है.
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इसी तरह ज्यादा मात्रावाले फ्लोराइडयुक्त पानी के सेवन से दांत की समस्या उत्पन्न होती है. हड्डियां कमजोर होतीं है और थकान, उल्ट व गैस की समस्या होती है.
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पानी में आयरन रहना जरूरी है, मगर एक मानक तक. मानक से अधिक रहने पर त्वचा सूखी हो जाती है. उल्टी व बाल के कमजोर होने की समस्या होती है.
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अत्यधिक नाइट्रेट की मात्रा वाले पानी से कमजोरी व चक्कर की समस्या होती है. त्वचा नीला होने लगता है.
पानी चिंता का बड़ा कारण
पानी में इन पदार्थों के पाये जाने से यहां के लोगों के सामने चिंता का पड़ा कारण बन गया है. हर घर में पानी को कभी जार पर तो कभी आरओ पर निर्भर होते हैं लोग.
कहते हैं कार्यपालक अभियंता
हर घर नल-जल योजना से जिले के हर घर तक पानी पहुंचाया जा रहा है. जिले का कोई भी गांव व घर छूटा नहीं है. केवल नये घर तक पानी नहीं पहुंच सकी है. ऐसे घरों को ढूंढ़ कर पानी पहुंचाने का काम हो रहा है.
— अजीत कुमार, कार्यपालक अभियंता, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण कार्य प्रमंडल, भागलपुर
कहते हैं रसायनज्ञ
बिहार में भागलपुर इकलौता जिला है, जहां के पानी में तीन तरह के दूषित पदार्थ हैं. यहां के पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड व आयरन है. नाइट्रेट के मामले में भी यह जिला सूबे में चौथे स्थान पर है.
— प्रवीण कुमार, रसायनज्ञ, पीएचइडी डिस्ट्रिक्ट लेबोरेटरी, भागलपुर