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बिहार की बिजली व्यवस्था में सुधार पर खर्च होंगे 23 हजार करोड़, नीतीश सरकार ने दी मंजूरी

Bihar News: ऊर्जा विभाग के अनुसार आरडीएसएस का मुख्य उद्देश्य बिजली कंपनियों की वित्तीय स्थिति में सुधार करते हुए उनके तकनीकी व व्यावसायिक नुकसान को कम किया जाना है, ताकि उपभोक्ताओं को निर्बाध रूप से गुणवत्तापूर्ण बिजली उपलब्ध हो सके.

पटना. देश भर में बिजली की वितरण व संचरण व्यवस्था में सुधार को लेकर वर्ष 2024-25 तक तीन लाख करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. इनमें से बिहार में खर्च होने वाले 23 हजार करोड़ रुपये में से करीब 12 हजार करोड़ रुपये सूबे की बिजली व्यवस्था की आधारभूत संरचना में सुधार जबकि 11 हजार करोड़ रुपये स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर खर्च होंगे. इसको लेकर तैयार रिवैम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) को बिहार कैबिनेट ने सोमवार को मंजूरी दी.

तकनीकी व व्यावसायिक नुकसान कम करेगी कंपनी

ऊर्जा विभाग के मुताबिक आरडीएसएस का मुख्य उद्देश्य बिजली कंपनियों की वित्तीय स्थिति में सुधार करते हुए उनके तकनीकी व व्यावसायिक नुकसान को कम किया जाना है, ताकि उपभोक्ताओं को निर्बाध रूप से गुणवत्तापूर्ण बिजली उपलब्ध हो सके. योजना के मुताबिक वर्ष 2024-25 तक बिजली की औसत तकनीकी व व्यावसायिक हानि को 12 से 15 फीसदी तक सुनिश्चित करना है. फिलहाल बिहार में बिजली की औसत हानि 35 फीसदी है. मतलब राज्य सरकार को बिजली खरीद की कुल राशि में से 65 फीसदी का ही राजस्व मिल पाता है. इसी अवधि तक सेवा की औसत लागत (एसीएस) और कुल राजस्व की प्राप्ति (एआरआर) के अंतर को शून्य करने का भी लक्ष्य है.

स्मार्ट मीटर को लगाने से लॉस घटेगा और राजस्व में होगी वृद्धि

23 हजार करोड़ रुपये में सबसे अधिक 12 हजार करोड़ रुपये बिजली व्यवस्था के आधुनिकीकरण व सुविधाओं की बढ़ोतरी में खर्च किये जायेंगे. इसके तहत 33 केवी के नये लाइन, नये पावर सब स्टेशन, पावर ट्रांसफॉर्मरों की क्षमता में वृद्धि, अतिरिक्त पावर ट्रांसफॉर्मर लगाये जाने, पीएसएस और 11केवी लाइन के मेंटेनेंस, स्काडा सिस्टम की मजबूती आदि पर खर्च किये जायेंगे. इसके साथ ही आवासीय, वाणिज्यिक परिसर व ट्रांसफॉर्मरों पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाये जाने पर 11 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. कंपनी का मानना है कि इससे लॉस घटेगा और राजस्व में वृद्धि होगी.

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मुख्य सचिव की अध्यक्षता में मॉनीटरिंग

रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत ली गयी परियोजनाओं की मॉनीटरिंग व उसे गति देने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया जाना है. इसमें कई विभागों के अपर मुख्य सचिव व प्रधान सचिव सहित वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहेंगे. ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव इस समिति के संयोजक होंगे. यह समिति राज्य की बिजली परियोजनाओं की नियमित तौर पर समीक्षा करने के साथ ही उपभोक्ता हित में कार्ययोजना बना कर उसका क्रियान्वयन भी सुनिश्चित करेगी. ऊर्जा विभाग ने इस समिति का नाम डिस्ट्रीब्यूशन रिफॉर्म कमेटी (डीआरसी) दिया है.

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