सतीश कुमार पांडेय, नरकटियागंज : महज दो महीने की जेल ने एक युवक की सोच और दुनिया ही बदल कर रख दी. रोज-रोज का मारपीट व अपराध के दलदल में जबरन घकेले जाने की कोशिश को विराम लगा और जो हाथ बंदूक थामने को मचल रहे थे, वही हाथ अब श्मशान घाट और कब्रिस्तानों पर शवों को सदगति देने में जुट गये हैं.
नगर के ब्लॉक रोड निवासी और चीनी मिल में सुरक्षा गार्ड की नौकरी करने वाले उमांकात ठाकुर के पुत्र विनय ठाकुर अब शवों को सदगति देने में जुटे हैं. महज 26 साल की उम्र में अब तक 125 शवों को इस युवा के हाथों ने सद्गति देने का काम किया है. नगर के सभी 25 वार्डों के अलावा गांव-देहात में भी किसी की मौत की सूचना पर सब काम छोड़ श्मशान व क्रबिस्तान पहुंचना विनय का शौक बन गया है.
यहीं नहीं कब किसके अंतिम संस्कार में हिस्सा लिये, किसकी मैयत का माटी दिया, ये कलमबद्ध करना भी नहीं भूलते. विनय के इस शौक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि श्मशान घाट पर जब तक लाशें जल नहीं जाती, तब तक वे उन्हें जलाने का जतन करते रहते हैं.
विनय बताते हैं कि वर्ष 2011 में जेल जाने के बाद एक बंदी की अस्पताल में मौत हो गयी, पता लगा कि बंदी का कोई नहीं था, लोगों ने अंतिम संस्कार किया. तब से उनके अंदर सामाजिक चेतना आया और ठान लिया कि जेल से छूटने के बाद वो सब काम छोड़ किसी के भी अंतिम संस्कार में भाग लेंगे और शवों को अपने हाथ जलाएंगे और मिट्टी डालने का काम करेगे. तब से ये सिलसिला अब तक जारी है. बस जानकारी मिलनी चाहिए, सब काम इस काम के आगे खत्म.
विनय वर्तमान पीढ़ी और अपने यार दोस्तों को ये सीख देते नजर आते हैं कि कोई भी काम करें, लेकिन अपने पास पड़ोसी और जानकार के अलावा कहीं भी किसी की मौत हो, उसमें जरूर भागीदार बने. मौत सत्य है और जीवन का अंतिम बरात भी. ऐसे में सामाजिक स्तर पर अंतिम संस्कार के समय जरूर भागीदार बन सामाजिक एकता का वाहक बनना चाहिए. विनय के इस कार्य को लेकर नगर के पूर्व विधायक प्रतिनिधि उपेन्द्र वर्मा, पार्षद प्रतिनिधि अवध किशोर पांडेय, समाजसेवी राजेश श्रीवास्तव आदि बताते है कि विनय का यह कार्य सराहनीय है. ये सोच सभी युवाओं में होनी चाहिए.
नगर परिषद के सभापति राधेश्याम तिवारी ने कहा कि युवाओं को सामाजिक कार्यों में आगे आने की जरूरत है. विनय के बारे में जानकारी मिली है. यह बेहद ही सराहनीय प्रयास है. ऐसे युवाओं को आगे बढ़ाने में हर संभव मदद की जाएगी.