बिहार में पिता की मृत्यु पर बेटे ने श्राद्ध भोज करने के बजाय बनवाया पुल, कहा- पिता की यही थी इच्छा

गांव में सुलभ संपर्क का सपना संजोये एक पिता की मृत्यु पर बेटे ने श्राद्ध भोज करने के बजाय पिता के सपने को पूरा किया और गांव में पुल का निर्माण कर एक नयी प्रथा की शुरुआत कर दी. यह मामला है बिहार के मधुबनी जिले का.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 14, 2022 2:07 PM

मधुबनी. गांव में सुलभ संपर्क का सपना संजोये एक पिता की मृत्यु पर बेटे ने श्राद्ध भोज करने के बजाय पिता के सपने को पूरा किया और गांव में पुल का निर्माण कर एक नयी प्रथा की शुरुआत कर दी. यह मामला है बिहार के मधुबनी जिले का. मधुबनी जिले के कलुआही प्रखंड के नरार पंचायत के वार्ड नंबर 2 में गांव में सड़क संपर्क एक पुल के कारण टूटा हुआ था. पुल नहीं होने से बरसात के मौसम में ग्रामीणों का गांव से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता था.

महादेव झा ने जीते जी पुल बनाने का देखा था सपना

ग्रामीणों की परेशानी देख महादेव झा नामक बुजुर्ग ने निजी प्रयासों से इस समस्या का समाधान करने का सपना संजोया था. इसी क्रम में बुजुर्ग महादेव झा इस सपने को लेकर ही दुनियां से चल बसे. उनके पुत्र ने उनके इस सपने को पूरा कर दिया है. महादेव झा के पुत्र सुधीर झा ने अपने पिता के निधन पर श्राद्ध भोज करने के बजाय 5 लाख रुपये की लागत से गांव में पुल का निर्माण करवा दिया है. सुधीरे ने न केवल गांववालों को सुगम आवाजाही सुनिश्चित कर दी है, बल्कि एक नयी परंपरा का भी आगाज किया है.

पांच लाख से बना पुल

बताया जाता है कि महादेव झा ने ही सुधीर को ऐसा करने के लिए कहा था. उन्होंने समाज को एक नयी राह दिखाते हुए अपनी पत्नी और बेटे सुधीर झा से कहा कि अगर पुल निर्माण से पहले उनका निधन हो जाये तो श्राद्ध भोज और कर्मकांड पर लाखों रुपये खर्च करने की बजाय गांव की सड़क पर पुल का निर्माण करवा देना. बहरहाल सुधीर झा ने अपने दिवंगत पिता के सपने को साकार करते हुए गांव की सड़क पर 5 लाख की लागत से पुल का निर्माण करवाया है.

महादेव झा का साल 2020 में हुआ था निधन

दिवंगत महादेव झा की पत्नी महेश्वरी देवी का कहना है कि पेशे से शिक्षक रहे उनके पति महादेव झा का साल 2020 में निधन हो गया था. उनकी इच्छानुसार परिवार के लोगों ने श्राद्ध भोज पर खर्च करने की बजाय गांव की सड़क पर पुल का निर्माण करवाया है. दिवंगत महादेव झा के छोटे भाई महावीर झा का कहना है कि गांव की सड़क पर पुल बन जाने से यहां से गुजरने वाले राहगीरों को काफी राहत मिली है, खासकर किसानों को अब कमर तक पानी में तैरकर अपने खेत पहुंचने की समस्या से निजात मिल गयी है.

सरकार के भरोसे रहना ठीक नहीं 

दिवंगत महादेव झा और उनके परिजनों ने कहा कि हर काम सरकार के भरोसे छोड़ने की आदत ही हमारे पिछड़ेपन की निशानी है. सरकारी सिस्टम को कोसते रहने की बजाय हमें निजी प्रयासों से भी गांव समाज को बेहतर बनाने की पहल करनी चाहिए.

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