ऋषव कृष्णा मिश्रा, नवगछिया, भागलपुर :
जिस बेटे को कंधे पर बिठा कर दुनियादारी सिखायी, वही जीते जी मृत घोषित कर चुपचाप निकल गया. जिस अंगुली से कभी ‘अ से अनार आ से आम’ लिखना सिखाया था, उसी अंगुली से ‘म से मौत’ लिखते हाथ नहीं कांपे. जब कभी खिलौने के लिए रोता था, तो पिता उसकी आंखों में आंसू देख नहीं पाते थे और खुद के खर्चे में कटौती कर उसके लिये खिलौने लाते थे. बेटे की आंखों में वे खुशी के फूल देखना चाहते थे, पर पिता की मौत की झूठी पटकथा लिखते वक्त बेटे की आंखों में एक बार भी आंसू नहीं उमड़ा, दिल नहीं पसीजा, जिससे गलत करने का रास्ता दिल रोक पाता. पढ़ें और सोचें कि हमारा समाज किधर जा रहा है.
परमेश्वर झा एक सेवानिवृत्त शिक्षक हैं. उम्र है 87 वर्ष. नवगछिया के तेतरी के रहनेवाले हैं. उनकी पत्नी का निधन कुछ दिन पहले हो गया. उनकी दो संतानें हैं- एक बेटा और एक बेटी. बेटा ‘कठकरेज’ (जो पत्थर दिल का हो) निकला और बेटी दिल की सुनने वाली. पिता ने बेटे दिवाकर नारायण झा को पढ़ाया-लिखाया इस आशा में कि बुढ़ापे में जीवन की लाठी बनेगा, लेकिन विधि का विधान देखिये कि उसी बेटे ने उनके जीवित रहते उन्हें मृत घोषित कर दर-दर की ठोकरें खाने को छोड़ दिया. बेटा मां के निधन के चार दिन बाद आया और फिर जमीन बेच कर चलता बना. वह रायपुर में रहता है. परमेश्वर झा बेटे की करतूत से इतने आहत हुए कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. भला हो उस बेटी का, जिसने पिता की सुधि ली और उनकी सेवा में लगी है.
नवगछिया के तेतरी गांव में महज आठ डिसमिल जमीन के लिए पुत्र ने जीवित पिता को मृत घोषित कर जमीन बेच दी. पिता के पास जमीन के नाम पर महज आठ डिसमिल का एक भूखंड था. वे इसी जमीन पर बने घर में रहते हैं. जब से पुत्र की हरकत के बारे में पता चला है तब से वे गंभीर रूप से बीमार हैं. वे भागलपुर के एक निजी अस्पताल के आइसीयू में भर्ती हैं. इस संदर्भ में नवगछिया थाने में आवेदन दिया गया है जिसपर शनिवार को सुनवाई होगी.
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परमेश्वर झा की पुत्री प्रीति झा ने बताया कि उनके पिता के पास महज आठ डिसमिल आवासीय जमीन और पेंशन के अलावा कुछ भी नहीं है. मां के निधन के बाद उन्हें पुत्र के पास चले जाने को कहा गया लेकिन वे गांव छोड़ कर नहीं जाना चाहते थे. प्रीति ने कहा कि उनके पिता बीमार थे, इसलिए वे इन दिनों यहीं रह कर उनका ख्याल रख रही है. वह एक प्राइवेट स्कूल की शिक्षिका हैं. बच्चों की भी जिम्मेदारी उनके ऊपर है, लेकिन वह पिता को इस हाल में छोड़ कर कहीं नहीं जायेंगी.
तेतरी निवासी पेंशनर समाज के पदाधिकारी रह चुके 87 वर्षीय परमेश्वर झा अवकाश प्राप्त शिक्षक हैं. उनकी समाज में काफी इज्जत-प्रतिष्ठा है. पिछले वर्ष 23 नवंबर को परमेश्वर झा की पत्नी का देहांत हो गया. पत्नी के निधन के बाद परमेश्वर झा अक्सर बीमार रहने लगे. इस कारण उनकी पुत्री प्रीति झा उनकी देख-रेख के लिए तेतरी में रहने लगी. 10 दिन पहले परमेश्वर झा को ज्ञात हुआ कि उनके पुत्र दिवाकर ने उनकी एक मात्र बसोबासी जमीन बेच दी है. निबंधन कार्यालय से जानकारी ली गयी, तो परमेश्वर झा को गहरा सदमा लगा, क्योंकि जमीन बिक्री के दस्तावेज में प्रत्येक जगह पर उन्हें स्वर्गीय लिख दिया गया था.
परमेश्वर झा ने तुरंत मामले की लिखित सूचना नवगछिया थाने में दी. लेकिन पुत्र द्वारा जीते जी मार दिये जाने की बात को वे सहन करने की स्थिति में नहीं थे और निरंतर उनकी हालत खराब होती गयी. अंततः उन्हें बुधवार को इलाज के लिए भागलपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. वे आइसीयू में हैं. उनके साथ उनकी पुत्री प्रीति झा हैं.
परमेश्वर झा ने पुलिस को दिये गये लिखित आवेदन में कहा है कि पत्नी की मृत्यु के बाद उसका पुत्र मुखाग्नि देने भी नहीं आया. मृत्यु के चार दिन बाद वह घर आया था और क्रिया-कर्म समाप्त होने के बाद वापस चला गया, जबकि पुत्री का कहना है कि बिहपुर निबंधन कार्यालय में उनके भाई ने 15 दिसंबर को जमीन की बिक्री की है. इससे साफ होता है कि उसके भाई ने गुपचुप तरीके से जमीन की बिक्री कर दी है. प्रीति ने कहा कि उसे जानकारी मिली है कि जमीन की बिक्री पड़ोसी के यहां की गयी है.