ऋषव मिश्रा कृष्णा, नवगछिया
तेतरी की प्रीति झा डीएवी महेशखूंट में शिक्षक की अच्छी-खासी नौकरी छोड़ दी. इसलिए कि अपने वृद्ध मां-पिता की देखभाल कर सके. प्रीति उस वक्त अपने मां-पिता का सहारा बनी जब उनके भाई ने वृद्ध दंपती की सुधि लेनी छोड़ दी थी. इतना ही नहीं, वह अपनी मां की श्राद्ध में काफी कहने के बाद आया और पिता को कागज पर मृतक बता कर उनके नाम की जमीन बेच ली थी. यहां बेटी प्रीति ने पारिवारिक व सामाजिक मूल्यों की नयी परिभाषा गढ़ दी. इस दौर में जहां कैरियर उत्थान के नाम पर वृद्ध मां-पिता के लिए कोई जगह नहीं रहती, प्रीति ने अपनी नौकरी छोड़ दी. नवगछिया के तेतरी निवासी वयोवृद्ध परमेश्वर झा की देखभाल कौन करता अगर उनकी पुत्री प्रीति झा ने यह जिम्मेवारी अपने कंधे पर नहीं ली होती तो. छह माह से प्रीति विद्यालय नहीं गयी. प्रीति बताती हैं- उनके पति भी प्राइवेट जॉब में ही हैं. आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्हें नौकरी की आवश्यकता थी, लेकिन तेतरी स्थित उनके मायके में माता-पिता की देखभाल करने वाला कोई न था. मां कविता देवी एक वर्ष पहले ही बीमार पड़ गयी थी.
अब इन्हें कैसे छोड़ दूं: प्रीति
प्रीति अपने पुराने दिनों में खो जाती है, वह कहती है, पिता दुमका में नौकरी करते थे. वे शिक्षा विभाग में क्लर्क थे. वे जहां भी रहे, मैं उनके साथ रही. उनके पिता की सोच प्रगतिशील थी. बेटा- बेटी में कभी फर्क नहीं किया. प्रीति कहती है कि दुमका से ही उसने एमए तक की पढ़ाई की और शादी के बाददेवघर से बीएड किया. प्रीति पुराने दिनों को याद करते हुए कहती है- उनकी हर छोटी बड़ी उपलब्धि से उनके पिता के आंखों में खुशी की ऐसी चमक दिखती थी, मानो दुनिया को उन्होंने मुट्ठी में कर लिया हो. जब वह उदास होती, तो उनके पिता की मायूसी चेहरे पर साफ झलकती थी. प्रीति कहती है कि जब भी कुछ इच्छा जाहिर किया, तो पिता ने जान लगा दिया. अब, आज उन्हें मेरी जरूरत है. इस हालत में मैं उन्हें कैसे छोड़ सकती हूं.