Sonpur Mela: सोनपुर मेले का बाजार सज चुका है. मेले में गाय-बैल, घोड़े और पालतू कुत्तों से लेकर रंग- बिरंगे पक्षियों वो सबकुछ मिल रहा है. जो इंसान के जरूरत के लिस्ट में आते हैं. यूं तो मेले की शान पहले हाथी हुआ करते थे. हाथियों को खरीदने और देखने के लिए देश के कोने-कोने से लोग आया करते थे. लेकिन मेले में हाथियों की बिक्री बंद होने के बाद अब घोड़े मेले की जान और शान हैं. घोड़ों की खरीद और बिक्री पर रोक नहीं होने से घोड़ा मंडी में आज भी हलचल है.
इन्हीं, हलचल के बीच मेले में आया एक घोड़ा जिसका नाम है रॉकेट. इस घोड़े का जैसा नाम है वैसा ही इसका काम भी है. इतना तेज दौड़ता है कि पलक झपकाने के बाद आप उसको देख नहीं पाएंगे. वहीं, दाम तो इतना है कि करोड़ रुपये में भी घोड़े का मालिक अपने लाडले रॉकेट को बेचने के लिए तैयार नहीं होता है.
हवा से बात करने वाला इस घोड़े का नाम रॉकेट है. यह घोड़ा सामान्य नहीं है. लगाम ढीली करते ही शून्य से पांच सकेंड में 45 किमी प्रति घंटे की तेज रफ्तार से दौड़ने लगता है. घोड़ा जब सामने में दौड़ता है तो धूल के गुबार में दूर-दूर तक कुछ नजर नहीं आता है. मिलता है तो सुनने को केवल घोड़े के टापों की आवाज.
इस घोड़े के मालिक का नाम है हरेराम मुखिया. जो भोजपुर जिले के रहने वाले हैं. हरेराम मुखिया ने बताया कि उन्होंने लगभग चार साल पहले सिंधु बॉर्डर से इस घोड़े को खरीद कर लाया था. बिहार, यूपी, झारखंड समेत बंगाल तक में इस घोड़े का प्रजाति नहीं है. घोड़े के मालिक का कहना है वे रॉकेट को मेले में बेचने नहीं बल्कि प्रदर्शनी के लिए लेकर आये हैं. रॉकेट घोड़े को लेकर पूरे मेले में जोर-शोर से चर्चा हो रही है. रॉकेट को खरीदने के लिए बिहार ही नहीं बल्कि यूपी और झारखंड से लोग लग्जरी वाहनों से आ रहे हैं.
घोड़े के मालिक ने बताया कि रॉकेट दिन में दो बार खाता है. 45 हजार प्रतिमाह इस घोड़े का खुराक है. रॉकेट को काजू, बादाम, पिस्ता और लगभग 5 लीटर प्रतिदिन दूध पिलाया जाता है. यानी एक दिन में घोड़ा लगभग 15 सौ रुपये का खुराक खा जाता है. रॉकेट की ताकत का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि रॉकेट अब तक विभिन्न प्रतियोगिताओं चार मंहगी बाइक को जीत चुका है.
रॉकेट के मालिक हरेराम मुखिया ने बताया कि रॉकेट(घोड़े) की रफ्तार ने उनका दिल जीत लिया है. इसलिए वे इस घोड़े को एक करोड़ रुपये में भी नहीं बेचेंगे. रॉकेट अब तक लग-अलग प्रतियोगिता में पहला स्थान लाकर 4 बाइक जीत चुका है. फ्रीज और शील्ड तो दर्जनों की संख्या में जीत चुका है. हरेराम मुखिया ने कहा कि रॉकेट की तरह रफ्तार दौड़ने के चलते ही लोगों ने इस घोड़े का नाम रॉकेट रख दिया है.
बता दें कि कोरोना के कारण दो साल बाद 2022 में लगे मेले में हरियाणा और पंजाब के साथ राजस्थान के घोड़े आए हैं. कारोबारियों का कहना है कि पहले वाली बात तो नहीं है, लेकिन मेले की जान और शान तो घोड़े ही हैं. मेले में एक हजार से अधिक कारोबारी हैं, इसमें खरीद बिक्री वाले शामिल हैं. कारोबारियों के मुताबिक इस बार मेले में अब तक 15 हजार घोड़े आए हैं, जिसमें 10 हजार से लेकर करोड़ रुपये तक के घोड़े हैं.
धर्म के जानकार का कहना है कि चूंकि इस जगह पर दो जानवरों का युद्ध हुआ था और सारे देवी-देवता एक साथ यहां प्रकट हुए थे. इस वजह से यहां पशुओं की खरीदारी करना शुभ माना जाता है. इसी स्थान पर हरिहर यानी विष्णु और शिव का मंदिर भी है, जहां प्रतिदिन सैकड़ों भक्त श्रद्धा से पहुंचते हैं. पूरे भारत में यह मात्र ऐसी जगह है जहां भगवान शिव और विष्णु की मूर्ति एक साथ रखी गई है. कहा जाता है की भगवान राम भी यहां आये थे और उन्होंने हरिहर की पूजा की थी.