sonpur mela: बिहार के सोनपुर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा से लगनेवाला मेला एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला हैं.इस मेले को ‘हरिहर क्षेत्र मेला’ के नाम से भी जाना जाता है जबकि स्थानीय लोग इसे छत्तर मेला कहते हैं. मेले में पशुओं के खरीद-फरोख्त की पुरानी परंपरा है. लेकिन साल 2003 में कोर्ट ने मेले में पशु-पक्षियों की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दिया था. इन सब के बावजूद मेले में प्रतिबंधित प्रजाति के पशु-पक्षियों की बिक्री की जाती है.
हालांकि समय-समय पर वन विभाग की टीम मेले में तस्करों पर नजर बनाए रखती है. इसी क्रम में वन विभाग की टीम ने हाजीपुर पटना एनएच पर दुर्लभ प्रजाति की पक्षियों की एक बड़ी खेप को पकड़ा. इन पक्षियों को पकड़ने के बाद वन विभाग की टीम ने मौके पर ही सभी पक्षियों को आजाद कर दिया.
जानकारी के मुताबिक पक्षी तस्कर दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों को पकड़कर सोनपुर मेले में बेचने के लिए हाजीपुर-पटना सड़क मार्ग से आ रहे थे. चूंकि सोनपुर मेले के दौरान पशु-पक्षी तस्कर काफी एक्टिव रहते हैं. इस वजह से वन विभाग की टीम पटना-हाजीपुर एनएच पर सघन वाहन अभियान चला रही थी. इसी दौरान टीम ने एक वाहन से सैकड़ों की संख्या में दुर्लभ पक्षियों को बरामद किया.
मामले को लेकर हाजीपुर वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मेले में प्रतिबंधित पशु-पशुओं की खरीद-बिक्री को रोकने के लिए सघन जांच अभियान चलाया जा रहा है. इसी दौरान पटना-हाजीपुर सड़क मार्ग से सोनपुर मेला लाए जा रहे सैकड़ों पक्षियों को बरामद किया गया. सभी पक्षियों को एक बाड़े में रखा गया है. सभी पक्षियों को आजाद कर दिया गया है. पक्षियों को आजाद करने के बाद सभी पक्षी नील गगन में उड़ते रहेंगे.
धर्म के जानकार का कहना है कि चूंकि इस जगह पर दो जानवरों का युद्ध हुआ था और सारे देवी-देवता एक साथ यहां प्रकट हुए थे. इस वजह से यहां पशुओं की खरीदारी करना शुभ माना जाता है. इसी स्थान पर हरिहर यानी विष्णु और शिव का मंदिर भी है, जहां प्रतिदिन सैकड़ों भक्त श्रद्धा से पहुंचते हैं. पूरे भारत में यह मात्र ऐसी जगह है जहां भगवान शिव और विष्णु की मूर्ति एक साथ रखी गई है. कहा जाता है की भगवान राम भी यहां आये थे और उन्होंने हरिहर की पूजा की थी.