पटना. ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति एसपी सिंह पर एक के बाद एक आरोप सामने आ रहे हैं. पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी में प्रभारी कुलपति रहते उनपर कई धांधली के आरोप लगे, जिसके बाद राजभवन ने उन्हें कुलपति के प्रभार से हटा दिया. इसके बावजूद वो बिहार के दो विश्वविद्यालयों के कुलपति रहे हैं. वर्तमान में मिथिला विवि के वो कुलपति हैं.
उनपर ताजा आरोप आर्यभट्ट विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति रहते कई मामलों में धांधली करने का लगा है. आरोप में कहा गया है कि इस विवि के प्रभारी कुलपति रहते प्रो एसपी सिंह ने एफिलिएशन घोटाला किया है. उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर एफिलिएशन बांटने का काम किया है.
विभिन्न कॉलेजों को एफिलिएशन देने में मानकों का उल्लंघन करने का मामला सामने आया है. बीबीए, बीसीए और बी फार्मा के एफिलिएशन में धांधली हुई है. कहा तो यहां तक जा रहा है कि 2014 से ही एफिलिएशन पर विश्वविद्यालय की ओर से रोक थी.
इसके बावजूद एसपी सिंह ने धड़ल्ले से कॉलेजों को एफिलिएशन दिया. कहा जाता है कि यूनिवर्सिटी के बोर्ड ऑफ एफिलिएशन से बिना अनुमति लिये ही प्रो सिंह ने एफिलिएशन देने का काम किया. जिसका अब जा कर खुलासा हुआ है.
इधर, पटना के पाटलिपुत्र यूनिवर्सिअी के पूर्व प्रभारी वीसी और वर्तमान में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति एसपी सिंह के खिलाफ टेंडर घोटाले मामले में भी जांच की सिफारिश खुद सीएम नीतीश कुमार ने की है.
मौलाना मजहरुल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति के पत्र के आलोक में नीतीश कुमार ने सरकार की ओर से जांच कराने का निर्देश दिया है. शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा है कि मिथिला विवि के कुलपति एसपी सिंह के ऊपर लगे आरोपों की जांच होगी.
दरअसल, कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद कुदुस ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था. उन्होंने पत्र में विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति रहे प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह की भूमिका की जांच की मांग की थी. कुदुस ने पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि कर्मचारियों और कॉपी के फर्जी भुगतान के लिए उन पर दबाव बनाया जा रहा है.
Posted by Ashish Jha