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पोषण दिवस पर विशेष : पांच साल में 5 प्रतिशत से अधिक बढ़ गये पटना में कुपोषित बच्चे

एनएचएफएस-5 के मुताबिक जिले में पांच साल की उम्र के 62.1 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. उनके शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा 11 मिलीग्राम से कम है. महज पांच साल पहले एनएचएफएस-4 में यह आंकड़ा 57.2 प्रतिशत था.

पटना. पटना जिले में अधिकतर बच्चों की सेहत सही मायने में ठीक नहीं है. खासकर पांच साल तक की उम्र के बच्चों का पोषण स्तर नीचे गिर रहा है. बच्चे एनीमिया के शिकार हो रहे हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) में इसका खुलासा हुआ है. एनएचएफएस-5 के मुताबिक जिले में पांच साल की उम्र के 62.1 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. उनके शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा 11 मिलीग्राम से कम है. महज पांच साल पहले एनएचएफएस-4 में यह आंकड़ा 57.2 प्रतिशत था. इसे देखते हुए डॉक्टर परिजनों को बच्चों के प्रति विशेष खान-पान पर ध्यान देने की अपील कर रहे हैं.

मुख्य तथ्य

  • 11 मिलीग्राम से कम है हीमोग्लोबिन की मात्रा अधिकतर बच्चों में

  • 57.2% बच्चे पांच साल पहले एनिमिया से पीड़ित थे जिले में

  • 25.2% बच्चों को ही एक घंटे में मां का दूध मिल पाता है

शहरी महिलाएं स्तनपान में हिचक रहीं

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की मानें तो जिले की महिलाएं स्तनपान से हिचक रही हैं. नवजात के लिए मां के दूध से अच्छा कोई और आहार नहीं होता, लेकिन जिले में महज 25.2% बच्चों को जन्म के एक घंटे के भीतर मां का दूध मिल पाता है. वहीं, छह माह तक के बच्चों को स्तनपान कराये जाने का प्रतिशत भी महज 81.7 है.

बच्चों को छह माह सिर्फ मां दूध पिलाएं

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ भूपेंद्र नारायण सिंह ने बताया कि नवजात में पोषण का मुख्य आहार स्तनपान होता है. इसके लिए महिलाओं को जागरूक करने की जरूरत हैं. वहीं, पीएमसीएच की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ अमृता राय ने कहा कि यदि बच्चे को जन्म के पहले घंटे के अंदर मां का पहला पीला गाढ़ा दूध पिलाया जाये, तो बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है. बच्चे को छह माह तक लगातार सिर्फ मां का दूध दिया जाना चाहिए.

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