आशीष झा, दरभंगा. पूरा देश अभी राममय है. अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर राम के ससुराल मिथिला में भी खासा उत्साह है. जगह जगह से लोग उपहार लेकर अयोध्या जा रहे हैं. इधर मिथिला इलाके में निर्मित सबसे प्राचीन राम मंदिर में 22 जनवरी को विशेष पूजा की तैयारी चल रही है. इस मंदिर का निर्माण 1806 में मिथिला नरेश महाराजा छत्र सिंह ने कराया था. 1934 के भूकंप में क्षतिग्रस्त होने के बाद तत्कालीन महाराजा ने इसका पुनर्निर्माण कराया था. वर्तमान काल में इसकी अवस्था काफी बदहाल है, लेकिन अब राज परिवार ने इस मंदिर की मरम्मत के निर्देश दिये हैं.
पिछले दिनों दर्शन करने पहुंचे थे कुमार कपिलेश्वर सिंह
पिछले दिनों अक्षत निमंत्रण यात्रा के तहत मिथिला राज परिवार के सदस्य कुमार कपिलेश्वर सिंह मंदिर में आकर पूजा अर्चना की थी. उसी दिन राज परिवार की ओर से विशेष पूजा को लेकर मंदिर की मरम्मत का काम शुरू कर दिया गया. राज परिवार के सूत्र बताते हैं कि 22 जनवरी तक रंग रोगन का काम पूरा कर लिया जायेगा. उस दिन विशेष पूजा का आयोजन होगा. साथ साथ पूरे मंदिर को बिजली ब्लब से सजाया जायेगा. एक हजार दीये जलाने की भी योजना है.
Also Read: मिथिला का राज परिवार ले जा रहा सिया वर राम के लिए उपहार, अयोध्या से आये निमंत्रण को बताया पूर्वजों का आशिर्वादन्यास के होता है मंदिर का संचालन
महाराजा कामेश्वर सिंह धार्मिक न्यास के अधीन संचालित इस मंदिर में करीब 50 वर्षों से प्रतिदिन शाम में रामचरितमानस का पाठ होता है. इस दौरान भक्तों की आवाजाही होती है. मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित कामेश्वर झा कहते हैं कि यह मंदिर 200 साल से अधिक पुराना है. मिथिला पर शोध करनेवाले संतोष कुमार कहते हैं कि यह मंदिर मिथिला के राम को स्थापित करता है. महाराजा छत्र सिंह ने इसे अपने निवास छत्रविलास पैलेस के अहाते में बनवाया था. उन्होंने कहा कि अविभाजित मिथिला (भारत-नेपाल) में इससे पुरानी सीता राम की प्रतिमा और कहीं स्थापित नहीं है.
मिथिला में मंदिरों की तो कोई कमी नहीं
मिथिला में मंदिरों की तो कोई कमी नहीं है, लेकिन राम मंदिर की संख्या आज भी महादेव या देवी मंदिर के मुकाबले काफी कम है. पटना महावीर मंदिर के प्रकाशन विभाग के प्रमुख पंडित भवनाथ झा कहते हैं कि छत्र सिंह से पूर्व किसी कालखंड में राम मंदिर जैसा कोई मंदिर का प्रमाण नहीं मिलता है. प्रतिमा को लेकर भी इससे पूर्व के कोई प्रामाणिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं. सीतामढ़ी में प्रतिमा से पूर्व पिंड होने की बात कहीं गयी है, वहीं जनकपुर का प्रसिद्ध जानकारी मंदिर का निर्माण तो 1886 में आकर हुआ है.
महाराजा छत्र सिंह ने ही 1817 में अहिल्या स्थान में मंदिर का निर्माण
दरभंगा राज के कर्मचारी प्रियांशु झा कहते हैं कि महाराजा छत्र सिंह ने न केवल अपने छत्रनिवास पैलेस परिसर में राम मंदिर का निर्माण कराया, बल्कि उनके कार्यकाल में ही मिथिला में राम से जुड़ी जगहों का विस्तार और विकास हुआ. महाराजा छत्र सिंह ने ही 1817 में अहिल्या स्थान में मंदिर का निर्माण कराया और वहां भी राम की प्रतिमा स्थापित की. सीतामढ़ी स्थित जानकी मंदिर के निर्माण और बंदोबस्ती में भी खंडवला राजवंश के राजा नरपति ठाकुर का योगदान रहा है.