बिहार के अस्पतालों में रखे जाएंगे पांच भाषाओं के जानकार, स्थानीय भाषाओं में मरीज ले सकेंगे मदद
अस्पताल के मे-आइ-हेल्प यू डेस्क पर तैनात ये लोग मरीजों को बिहार की स्थानीय भाषा जैसे भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका और बज्जिका भाषाओं में मदद करेंगे. यह कर्मी लोगों को अस्पताल में रजिस्ट्रेशन से लेकर डॉक्टर, जांच की सुविधा, दवा काउंटर आदि की जानकारी उपलब्ध कराएंगे.
बिहर के डिप्टी सीएम सह स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव द्वारा स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए शुरू किए गए मिशन 60 के तहत अब राज्य के सरकारी मेडिकल कालेज और अस्पतालों के साथ-साथ सदर अस्पतालों में भी मरीज और उनके परिजनों को स्थानीय भाषा में अस्पताल की सुविधाओं के संबंध में जानकारी देने की तैयारी शुरू हो गयी है. इसके लिए अस्पतालों में तैयार किये गये मे-आइ-हेल्प यू डेस्क पर पांच स्थानीय भाषाओं के जानकारों को तैनात किया जायेगा.
तैनात किए जाएंगे पांच भाषाओं के जानकार
अस्पताल के मे-आइ-हेल्प यू डेस्क पर तैनात ये लोग मरीजों को बिहार की स्थानीय भाषा जैसे भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका और बज्जिका भाषाओं में मदद करेंगे. यह कर्मी लोगों को अस्पताल में रजिस्ट्रेशन से लेकर डॉक्टर, जांच की सुविधा, दवा काउंटर आदि की जानकारी उपलब्ध कराएंगे.
स्थानीय भाषा में मरीजों को मिलेगी मदद
सरकार ने अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के किसी भी प्रश्न का उत्तर उन्हीं की स्थानीय भाषा में मुहैया कराया जाने का निर्देश जारी किया गया है. स्वास्थ्य की नयी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में इसे शामिल किया गया है. सरकारी अस्पतालों में मरीजों को निजी अस्पताल जैसे सुविधा देने के लिए पिछले तीन महीने से स्वास्थ्य विभाग की कवायद चल रही है.
मिशन-60 के तहत अस्पतालों में कई अहम बदलाव किये गये
विभाग का सर्वाधिक फोकस अस्पतालों में डाक्टर, नर्सों की उपस्थिति के साथ दवाओं की उपलब्धता पर है. इस व्यवस्था में सुधार के लिए सितंबर महीने में मिशन-60 भी शुरू किया गया था. मिशन-60 के तहत अस्पतालों में कई अहम बदलाव किये गये हैं. अब सेवा में बेहतरी लाने पर फोकस किया गया है.
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स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव ने दिया निर्देश
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने अस्पताल प्रबंधन को निर्देश दिया है कि अस्पताल अपने स्तर पर स्थानीय भाषा के जानकारों की अपनी आवश्यकता के अनुसार नियुक्त करें. अस्पताल प्रबंधन को ऐसे कम से कम पांच-पांच जानकार रखने को कहा गया है. साथ जल्द से जल्द हेल्प डेस्क की व्यवस्था को प्रभावी बनाने का निर्देश दिया गया है.