सृजन घोटाला बिहार राज्य का सर्वाधिक चर्चित घोटाला है. विभिन्न सरकारी अधिकारियों, बैंक अधिकारियों, निजी व्यक्तियों और अन्य सदस्यों के साथ सरकारी धन को सृजन के खातों में डालने की साजिश रची. उक्त खाते का उपयोग सभी षड्यंत्रकारियों के लाभ के लिए किया गया था.
इस साजिश में अधिकारियों, जिला भूमि अधिग्रहण कार्यालय, इंदिरा आवास योजना में पड़ी धनराशि, सृजन के खाते में जिला कल्याण योजना आदि की राशि ट्रांसफर की गयी. इस राशि से फ्लैट और अन्य संपत्ति की खरीद की गयी. गाजियाबाद, पुणे, पटना, भागलपुर आदि में अचल संपत्तियां भी अर्जित की गयी. इन आरोपों की जांच सीबीआइ, प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है.
सृजन घोटाला मामले में सीबीआइ कई और लोगों को गिरफ्तार करने की तैयारी कर रही है. अभी भी कई आरोपित गिरफ्त से बाहर हैं. उनकी गिरफ्तारी होने के बाद कई और राज खुलने के आसार हैं. अभी भी सृजन संस्था की तत्कालीन सचिव रजनी प्रिया व उनके पति अमित कुमार को सीबीआइ नहीं पकड़ पायी है. सृजन घोटाला मामले में वर्ष 2017 में सात अगस्त से केस होना शुरू हुआ था. इससे एक दिन पहले ही दोनों भागलपुर छोड़ गये थे. दोनों इस घोटाले में आरोपित हैं.
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सृजन घोटाला मामले में सात चेक के बारे में जानकारी सीबीआइ ने डीआरडीए से मांगी है. डीआरडीए से पूछा है कि क्या इस चेक के माध्यम से डीआरडीए के खाते में सृजन संस्था ने राशि जमा की थी. इसका जवाब डीआरडीए तैयार कर रहा है. दरअसल कल्याण विभाग ने इंडियन बैंक के उक्त सात चेक के माध्यम से राशि जमा करने भेजा था और यह राशि सृजन को ट्रांसफर हो गयी.
इसके बाद जब सृजन को पता चला कि डीआरडीए को पैसे की जरूरत है और खाते से निकासी की जायेगी, तो सृजन उसी सातों चेक से राशि डीआरडीए में जमा कर दी, ताकि डीआरडीए के खाते से पूर्व में हुए घोटाले की जानकारी डीआरडीए को न मिल सके. इस बाबत जब डीआरडीए ने एफआइआर दर्ज करायी थी, तो सीबीआइ के दिल्ली ऑफिस को जानकारी दी थी. अब जांच अधिकारी बदलने और जांच की कार्रवाई सीबीआइ के पटना कार्यालय से होने के कारण यहां जानकारी भेजी जायेगी.
Published By: Thakur Shaktilochan