Srijan scam: सृजन घोटाला में आरोपित बैंक अधिकारी संजय कुमार के घर CBI की रेड, खाली हाथ लौटी टीम

Srijan scam: सृजन घोटाला मामले के आरोपित व बैंक ऑफ बड़ौदा की भागलपुर शाखा के तत्कालीन अधिकारी संजय कुमार के घर शनिवार अहले सुबह सीबीआइ (CBI) की टीम ने छापेमारी की. हालांकि आरोपी अधिकारी अपने घर पर मौजूद नहीं थे.

By Prabhat Khabar News Desk | September 4, 2022 3:45 AM

सहरसा: राज्य के बहुचर्चित सृजन घोटाला मामले के आरोपित व बैंक ऑफ बड़ौदा की भागलपुर शाखा के तत्कालीन अधिकारी संजय कुमार के घर शनिवार अहले सुबह सीबीआइ की टीम ने छापेमारी की. स्थानीय सदर थाना पुलिस की मदद से सीबीआइ की आयी टीम ने संजय कुमार के न्यू कॉलोनी स्थित घर पहुंच घर वालों से पूछताछ की. सीबीआइ टीम को घर में रह रही उनकी मां से ही मुलाकात हो पायी. मां के साथ एक नर्स भी घर पर थी.

CBI की टीम ने घर पर की छापेमारी

सृजन घोटाला सामने आने के दौरान संजय कुमार भागलपुर में पदस्थापित थे. रेड के लिए पहुंची सीबीआइ की टीम उनके घर पर छापेमारी के बाद संजय कुमार की पत्नी द्वारा संचालित क्लिनिक पर भी पहुंची. हालांकि यहां भी सीबीआइ को संजय का कोई सुराग हाथ नहीं लगा. बता दें कि बैंक अधिकारी संजय कुमार की पत्नी विभा रानी पेशे से महिला डॉक्टर हैं. वह वर्तमान में मधेपुरा सदर अस्पताल में पदस्थापित हैं.

संजय कुमार की पत्नी से की पूछताछ

सीबीआइ की टीम संजय कुमार की पत्नी डॉ विभा रानी से पूछताछ कर संजय कुमार के सुराग को ढूंढ़ने में लगी है. संजय कुमार का सुराग ढूंढ़ने सहरसा पहुंची सीबीआइ की टीम को फिलहाल कोई सुराग हाथ नहीं लग सका है. छापेमारी के दौरान संजय कुमार के घर व पत्नी के अस्पताल पहुंची टीम ने घर में रह रही मां व वहां मौजूद एक नर्स से संजय कुमार की जानकारी को लेकर लगभग 15 मिनट तक पूछताछ की और वापस लौट गयी.

क्या है सृजन घोटाला ?

इस घोटाले का नाम ‘सृजन घोटाला’ इस कारण पड़ा क्योंकि कई सरकारी विभागों की रकम सीधे विभागीय ख़ातों में न जाकर या वहां से निकालकर ‘सृजन महिला विकास सहयोग समिति’ नाम के एनजीओ के छह ख़ातों में ट्रांसफ़र कर दी जाती थी. इस घोटाले को अंजाम देने का ढंग अपने आप में अनोखा है. पुलिस मुख्यालय के एक वरीय अधिकारी के मुताबिक ‘फर्ज़ी सॉफ़्टवेयर बनाकर पासबुक को अपडेट किया जाता था. उसी सॉफ़्टवेयर से बैंक स्टेटमेंट निकाला जाता था. यह फ़र्ज़ी स्टेटमेंट बिल्कुल वैसा ही होता था, जैसा किसी सरकारी विभाग के इस्तेमाल और खर्च का होता है. दिलचस्प बात यह है कि घोटाले से जुड़े लोग इसी फ़र्ज़ी सॉफ़्टवेयर के ज़रिए इस राशि का ऑडिट भी करवा देते थे.’

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