पटना. बिहार विधानसभा भवन शताब्दी वर्ष का बहुप्रतीक्षित समापन समारोह विधानसभा की पार्किंग में बनाये गये एसी पंडाल में करीब 57 मिनट चला. इस दौरान सबसे अधिक 27 मिनट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन हुआ. उनके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करीब नौ मिनट बोले. विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पांच-पांच मिनट का समय लिया. मंच पर कुल दस कुर्सियां लगायी गयी थीं, लेकिन उनमें से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को ही बोलने का मौका मिला.
प्रोटोकॉल के हिसाब से मंच पर बीच में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैठे. उनके दायें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, जबकि बायें राज्यपाल फागू चौहान, बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा, उपमुख्यमंत्री रेणु देवी, शिक्षा सह संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी और बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी बैठे थे. कोरोना पॉजिटिव होने के चलते उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके.
कार्यक्रम को लेकर फुल एयरकंडीशंड पंडाल बनाया गया था, जिसमें पांच गेट से तमाम लोगों को इंट्री दी गयी. मंत्री, अधिकारी से लेकर विधायक-विधान पार्षद, पूर्व विधायक-विधान पार्षद, सांसदों सहित अन्य गण्यमान्य लोगों के बैठने को लेकर अलग-अलग व्यवस्था की गयी थी. सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए दोपहर तीन बजे से हॉल की कुर्सियां भरने लगीं. कार्यक्रम शुरू होने के एक घंटे पहले शाम पांच बजे तक ही हॉल फुल हो चुका था.
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प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री की पंडाल में इंट्री शाम 6.15 बजे हुई. सबसे पहले विधानसभा अध्यक्ष, उनके बाद तेजस्वी यादव, फिर मुख्यमंत्री और अंतिम वक्ता के रूप में प्रधानमंत्री ने अपनी बात रखी. 7.12 में प्रधानमंत्री का संबोधन समाप्त होते ही कार्यक्रम समाप्त हो गया. हालांकि ,इसके पहले शाम छह बजे विधानसभा परिसर पहुंचे पीएम ने सबसे पहले करीब 02.59 करोड़ की लागत से बने विधानसभा शताब्दी स्मृति स्तंभ का लोकार्पण किया.
इस 40 फुट ऊंचे शताब्दी स्मृति स्तंभ के निर्माण की आधारशिला पिछले साल 21 अक्तूबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रखी थी. प्रधानमंत्री ने विधानसभा परिसर में कल्पतरु पौधे का रोपण किया. साथ ही विधानसभा परिसर में सौ औषधीय पौधे युक्त उद्यान का शताब्दी स्मृति उद्यान के रूप में नामकरण किया.