Bihar: कम लागत में घर से शुरू करें आयस्टर मशरूम की खेती, अधिक उत्पादन कर गया की महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर
मशरूम की अधिक उत्पादन कर गया की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रहीं है. कृषि विभाग के अधिकारी ने बिजुआ ग्राम में मशरूम की खेती कर रहीं महिलाओं को प्रखंड विकास पदाधिकारी कुमारी पुष्पावती सिंह से रू-ब-रू कराया.
गया. बिहार के गया जिले के डुमरिया प्रखंड मुख्यालय की महिलाएं आर्थिक रूप से समृद्ध हो रही हैं. उनकी आर्थिक समृद्धि का राज खेती-किसानी है. महिलाएं मशरूम की खेती को आर्थिक उपार्जन का माध्यम बनाया है. कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा), गया अंतर्गत प्रखंड मुख्यालय के नंदई पंचायत अंर्तगत बिजुआ ग्राम में किसान पाठशाला का आयोजन किया गया. कृषि विभाग के अधिकारी ने बिजुआ ग्राम में मशरूम की खेती कर रहीं महिलाओं को प्रखंड विकास पदाधिकारी कुमारी पुष्पावती सिंह से रू-ब-रू कराया. बीडीओ ने कहा कि इस सुदूरवर्ती क्षेत्र में भी कम संसाधन में मशरूम की खेती कर महिलाएं प्रेरणास्रोत बन रही हैं. 25 महिलाओं के समूह द्वारा खेती में एक प्रगतिशील महिला किसान रिंकू कुमारी हैं.
मशरूम की होती हैं कई प्रजातियां
महिला किसान रिंकू कुमारी अब किसी परिचय की मोहताज नहीं रही हैं. इनकी कार्यकुशलता से कई महिलाएं प्रेरित भी हो रही हैं. यही वजह है कि प्रखंड की कई पंचायतों में महिलाओं द्वारा मशरूम की खेती शुरू की गयी है. प्रखंड कृषि पदाधिकारी बिंदेश्वर राम व कृषि समन्वयक वीरमणि पाठक व बीटीएम सच्चिदानंद कुमार ने किसान मशरूम पर आयोजित किसान पाठशाला में बताया कि मशरूम की कई प्रजातियां होती हैं. लेकिन, आयस्टर मशरूम की खेती कम लागत में अधिक उत्पादन के लिए उपयुक्त होती है.
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मशरूम की खेती कर आत्मनिर्भर बनी महिलाएं
ढिंगरी मशरूम को आयस्टर व सीपी मशरूम के नाम से भी जाना जाता है. मशरूम की यह प्रजाति प्लूरोटस स्पीसीज में आती हैं. मौसम अथवा समय के अनुसार ढिंगरी मशरूम के उत्पादन के लिए अलग-अलग प्रजातियों को उगाया जाता है. बता दें कि मशरूम में प्रोटीन, कम कार्बोहाइड्रेट, कम फैट, कम शुगर और मिनरल की मात्रा पायी जाती है. डायबिटिज और हृदय रोगी के लिए बहुत उपयुक्त खाद्य पदार्थ है. महिलाओं को केवल आर्थिक लाभ ही नहीं प्राप्त हो रहा, बल्कि गर्भवती महिलाओं एवं कुपोषित बच्चों को पोषण भी मिल रहा है. इस मौके पर कृषि समन्वयक पवन कुमार सहित कई किसान मौजूद थे.