Start-UP Idea: डुमरांव थाना क्षेत्र के अंगद राय के डेरा का रहने वाला युवक मनोहर कुमार सूरत में नौकरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करता था. कोरोना महामारी आने के बाद आर्थिक तंगी ने देश को हिला कर रख दिया. कारोबार से लेकर कई कंपनियां बंद हो गयी और प्रवासी अपने घरों की ओर लौट गये. कइयों की नौकरी चली गयी, जिसमें मनोहर भी शामिल था. घर आकर वह मेहनत-मजदूरी करने लगा लेकिन आर्थिक तंगी से उबर नहीं सका. किसी तरह घर की गाड़ी चलती रही और वह धीरे-धीरे कर्ज की बोझ में दबता रहा फिर उसने जुगाड़ के नई तकनीक से पैसा कमाने का रास्ता अख्तियार किया. उसने साबित कर दिया कि मेहनत करने वाला व्यक्ति पहाड़ पर रहकर भी दिमाग से पैसा कमा सकता है.
मनोहर कुमार ने नौकरी की आस छोड़कर वह अपनी जुगाड़ से बाइक पर सत्तू मिल बैठाकर आसानी से प्रति माह बीस हजार रुपये की आमदनी करता है. इस आमदनी के बदौलत वह मां-बाप, पत्नी और दो बच्चों की परवरिश आसानी से कर लेता है. मनोहर जब बाइक पर भूंजे चना की बोरियां और सतू मिल को लेकर डुमरांव के सड़क व गलियों में पहुंचता है तो खटखट की आवाज सुन सतू खरीदने वालों की भीड़ लग जाती है. सौ रुपये में एक किलो सतू तुरंत पीसकर देता है. इसमें कोई मिलावट नही. खरीदार आंखों के सामने मिल का पीसा हुआ सतू खरीदकर ले जाते है. यह शहरी लोगों को खूब भा रहा है.
यह जुगाड़ का मिल बेरोजगार युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बना है. वह कभी-कभी गांवों का भी रुख करता है. मनोहर ने बताया कि देश मे कोरोना आने के बाद फैक्टरी बंद हो गयी और कइयों को प्रबंधन ने नौकरी से निकाल दिया. गांव में कोई रोजी-रोजगार नही मिलने से परेशानी होने लगी और कर्ज के तले धीरे-धीरे दबता गया फिर जो भी पैसे बचे थे उसे कमाई का जरिया बनाया. बीस हजार रुपये में सेकेंड हैंड बाइक की खरीद की और उस पर छोटा चक्की तथा डीजल इंजन पर सतू चक्की बैठा लिया. इस रोजगार में करीब 40 से 45 हजार रुपया लागत खर्च लगा और मेहनत कर करीब 20 हजार की राशि हर माह कमाई करते है. इस कमाई से परिवार चलता है और यह काम नौकरी से भी अच्छा काम है.