जुकाम-बुखार से हुई शुरुआत, फिर ऑक्सीजन लेवल 70 और सीटी स्कोर 22, आठ साल के बच्चे ने ऐसे दी बीमारी को मात
शहर के आइजीआइएमएस में आठ साल के बच्चे ने मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआइएस-सी) को शिकस्त दे दी है. बुधवार को बच्चे की अस्पताल से छुट्टी की कर दी गयी है. छपरा जिले के मरहौडा गांव निवासी आठ वर्षीय बच्चे का नाम निशांत कुमार है (पिता दिनेश कुमार गुप्ता).
पटना. शहर के आइजीआइएमएस में आठ साल के बच्चे ने मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआइएस-सी) को शिकस्त दे दी है. बुधवार को बच्चे की अस्पताल से छुट्टी की कर दी गयी है. छपरा जिले के मरहौडा गांव निवासी आठ वर्षीय बच्चे का नाम निशांत कुमार है (पिता दिनेश कुमार गुप्ता).
बीमारी के बाद बच्चे का ऑक्सीजन लेवल घटकर 70 हो गया. सीटी स्कोर 22 पर पहुंच गया था. स्थिति नाजुक होती जा रही थी, जिसके बाद बीते 27 मई को बच्चे को लेकर परिजन आइजीआइएमएस पहुंचे. ऑक्सीजन सपोर्ट व 23 दिन बेड पर भर्ती रहने के बाद बच्चे ने एमआइएससी बीमारी को मात दी और सकुशल घर लौट गया.
जुकाम-बुखार से हुई शुरुआत, फिर सांस लेने में हो गयी दिक्कत
आइजीआइमएस के अधीक्षक डॉ मनीष मंडल ने बताया 22 मई को निशांत को हल्का बुखार व जुकाम हुआ. इसे परिजनों ने गंभीरता से नहीं लिया. पास के एक निजी अस्पताल व घर पर जो बुखार-खांसी की टैबलेट थी, वही खिलाने लगे. यही सबसे बड़ी गलती थी.
3 दिनों बाद सांस लेने में तकलीफ होने लगी. तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो 27 मई को आइजीआइएमएस लाया गया. यहां सीटी स्कैन व आरटीपीसीआर जांच की गयी. बच्चे का फेफड़ा संक्रमित हो गया था. साथ ही ऑक्सीजन भी 70 लेवल पर पहुंच गया था.
बच्चे को शिशु रोग विभाग के अंतर्गत भर्ती किया गया, जहां डॉ राकेश कुमार, डॉ आनंद कुमार गुप्ता, डॉ सुनील कुमार की देखरेख में इलाज शुरू किया गया.
वहीं डॉ मनीष मंडल ने कहा कि बिल्कुल अलग किस्म का यह सिंड्रोम कोरोना से उबरे बच्चों को तब प्रभावित करता है, जब तक उनमें एंटीबॉडी विकसित नहीं हो जाती है. एमआइएस-सी का खतरा उन बच्चों में होता है, जो कोरोना से उबरे होते हैं. इसके लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
Posted by Ashish Jha