भागलपुर में प्राइवेट स्कूली वाहनों की हड़ताल से अभिभावकों की बिगड़ी दिनचर्या, जानें क्या है मांगे
भागलपुर जिला प्राइवेट स्कूल वाहन संघ के अध्यक्ष ने बताया कि गुरुवार को कचहरी चौक पर धरना प्रदर्शन शुरू किया जायेगा. अध्यक्ष ने बताया कि इलाके में 300 से अधिक प्राइवेट वाहनों से बच्चे स्कूल पहुंचाये जा रहे हैं. परिवहन विभाग से आग्रह है कि मानकों के पालन के लिए कम से कम छह माह का समय दिया जाये.
भागलपुर: प्राइवेट स्कूल वाहनों की हड़ताल के कारण अब स्कूली बच्चों के अभिभावकों की दिनचर्या बिगड़ने लगी है. बच्चों को स्कूल पहुंचाने और लाने में माता-पिता खूब परेशान हो रहे हैं. बारिश व धूप के बीच शहर के विभिन्न इलाके में रहने वाले अभिभावकों को रोजाना दो बार स्कूल जाना पड़ रहा है. बुधवार को भी अभिभावकों ने ही अपने बच्चों को स्कूल पहुंचाया. इ-रिक्शा, ऑटो, रिक्सा व अपने बाइक व कार से बच्चे अभिभावकों के साथ पढ़ाई के लिए स्कूल पहुंचे.
जिला प्रशासन की दबिश से हड़ताल पर गए वाहन
माउंट असीसी जूनियर सेक्शन की एक छात्रा के अभिभावक राजन पांडेय ने बताया कि जिला प्रशासन की दबिश के कारण प्राइवेट वाहन चालक हड़ताल पर चले गये. प्रशासन को अभिभावकों की समस्या को समझना होगा. हजारों बच्चों के अभिभावक रोजाना अनावश्यक ड्यूटी नहीं कर सकते हैं. अभिभावकों पर नौकरी, व्यापार समेत घर के कई काम का बोझ रहता है. प्राइवेट वाहन चालक संघ से वार्ता कर परिवहन विभाग कोई रास्ता निकाले, जिससे अभिभावकों की पीड़ा कम हो.
ई-रिक्शा चालकों की चांदी
इधर, प्राइवेट स्कूली वाहनों की हड़ताल से इ-रिक्सा संचालकों की चांदी हो गयी है. इ रिक्सा पर क्षमता से अधिक बच्चों को बिठाकर स्कूल पहुंचाया व लाया जा रहा है. इ-रिक्सा के दोनों तरफ गेट नहीं रहने से बच्चों के गिरने की आशंका बनी रहती है. अभिभावकों को इ-रिक्सा सस्ता पड़ रहा है. इ-रिक्सा संचालक 700-800 रुपये प्रतिमाह की दर से बच्चों को स्कूल पहुंचाने की बात कह रहे हैं. वहीं ओम्नी कार, मैजिक वैन समेत ऑटों व अन्य वाहनों का प्रतिमाह किराया 1500 रुपये है.
परमिट के बोझ से बढ़ेगा स्कूल वाहन का किराया
जिला प्राइवेट स्कूल वाहन संघ के अध्यक्ष आलोक कुमार सिन्हा ने बताया कि गुरुवार को कचहरी चौक पर धरना प्रदर्शन शुरू किया जायेगा. अध्यक्ष ने बताया कि इलाके में 300 से अधिक प्राइवेट वाहनों से बच्चे स्कूल पहुंचाये जा रहे हैं. परिवहन विभाग से आग्रह है कि मानकों के पालन के लिए कम से कम छह माह का समय दिया जाये. इस दौरान सारे कागजात दुरुस्त कर लिये जायेंगे. उन्होंने बताया कि परिवहन विभाग परमिट लेने का दबाव बना रही है. प्राइवेट वाहन चालकों पर हजारों रुपये का बोझ बढ़ेगा. इसका खामियाजा अभिभावकों को भुगतना पड़ेगा. किराया प्रतिमाह 1500 से बढ़ कर दोगुना हो सकता है. वहीं लॉकडाउन के बाद वाहन चालकों का हाथ बिल्कुल तंग चल रहा है. परमिट व अन्य विभागीय कार्य के लिए एकमुश्त 25 हजार व हर माह अन्य खर्च करने की स्थिति में नहीं हैं.