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बिहार के भागलपुर का प्रभाष: टोटो चलाकर साथियों को ले जाता है स्कूल, किराये से मिले पैसे से भरता अपनी फीस

बिहार के भागलपुर के रहने वाले प्रभाष की कहानी बेहद प्रेरणादायक है. संघर्ष के रास्ते चलकर प्रभाष अपने भविष्य को संवारने की तैयारी में जुटा है. अपने साथियों को खुद ही टोटो चलकार प्रभाष स्कूल लेकर जाता है. किसान के बेटे प्रभाष की जानें कहानी...

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 16, 2022 2:55 PM

Bihar News: जिसे सफल होने की सनक सवार हो जाए उसके लिए फिर रास्ते कहीं बंद नहीं होते. वो खुद अपना रास्ता ढूंढ लेता है और उसके लिए उसे संघर्ष भी करना पड़े तो वो पीछे नहीं हटता. यही संघर्ष भरे दिन उसे सफलता के शिखर को छूने में मदद करते हैं. ऐसी ही एक कहानी है बिहार के भागलपुर के रहने वाले प्रभाष की. प्रभाष की चर्चा आज पूरे जिले में है. यही नहीं प्रभाष का उदाहरण भी अब लोग अपने बच्चे को दे रहे हैं. आइये जानते हैं क्या है भागलपुर के प्रभाष की कहानी…

टोटो चालक की कहानी प्रेरणादायक

अगर किसी के पास पैसे या संसाधनों का अभाव हो और वो पढ़ाई के रास्ते में बाधा बन रहा हो तो उसे एकबार प्रभाष की कहानी जरुर पढ़नी चाहिए. भागलपुर के नाथनगर में नरगा सरस्वती विद्या मंदिर में किसी ई-रिक्शा चालक को इसी स्कूल के यूनिफार्म में देख लें तो आप चौंकियेगा मत. यह मत समझियेगा कि किसी लड़के को दान में ये पुराने कपड़े दिये गये होंगे और वही पहनकर ये अपना काम चलाता है. दरअसल, इस टोटो चालक की कहानी बेहद प्रेरणादायक है और ये केवल ड्राइवर नहीं बल्कि इसी स्कूल का एक छात्र है.

अपने सहपाठी छात्रों को स्कूल से लाता और पहुंचाता है प्रभाष

नरगा सरस्वती विद्या मंदिर के नौवीं का छात्र प्रभाष कुमार टोटो से अपने सहपाठी छात्रों को स्कूल से लाता और पहुंचाता है. किराये के रूप में उसे जो पैसे मिलते हैं उससे अपनी पढ़ाई का खर्च निकालता है. प्रभाष अपनी मजबूरी से थकहारकर बैठने वालों में नहीं है. बल्कि बाधाओं को चीरकर स्वर्णिम भविष्य का निर्माण करने वालों में एक है. प्रभाष अपने सहपाठियों को लेकर अपने टोटो से स्कूल जाता है और उनसे मिले किराये के पैसे से अपनी स्कूल फीस व किताब कॉपी समेत ट्यूशन फीस भरता है.

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किसान का बेटा प्रभाष, घर की आर्थिक स्थिति कमजोर

प्रभाष के पिता किसान हैं, गरीब होने के नाते उनके घर की आर्थिक स्थिति कमजोर है. पिता को घर चलाने की जिम्मेदारी है. खेती से उतनी कमाई नहीं होती कि वह स्कूल फीस भर सके. अन्य बच्चों ने कहा कि प्रभाष काफी लगनशील है. वह रोज स्कूल आता है. जो होमवर्क मिलता है उसे पूरा करता है.

विद्या मंदिर के प्राचार्य नीरज कौशिक ने बताया कि ऐसी किसी प्रकार की जानकारी विद्यालय स्तर पर हमें नहीं थी. ऐसे छात्र जो खुद से स्वावलंबी बन रहे हैं. निश्चित रूप से ऐसे छात्रों को विद्यालय से सहयोग किया जायेगा.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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