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TMBU के फिजिक्स विभाग में 80 के दशक के उपकरण से प्रयोग कर रहे छात्र, कैसे उज्ज्वल होगा भविष्य ?

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पीजी फिजिक्स विभाग में 80 के दशक वाले उपकरण से प्रैक्टिकल कराया जा रहा है. विभाग के लैब में रखा ज्यादातर उपकरण खराब हो चुके हैं.

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पीजी फिजिक्स विभाग में 80 के दशक वाले उपकरण से प्रैक्टिकल कराया जा रहा है. विभाग के लैब में रखा ज्यादातर उपकरण खराब हो चुका है. जबकि विवि में सीबीसीएस सिस्टम के तहत पीजी की पढ़ाई चल रही है. सिलेबस के अनुरूप लैब नहीं है. जबकि इसी विभाग से रिचर्स प्रकाशन के नाम पर विवि को नैक मूल्यांकन में अधिक प्वाइंट मिल चुका है. लेकिन विवि की उपेक्षा के कारण विभाग की समस्या दूर नहीं हो पा रही है.

पुराने उपकरणों से प्रैक्टिकल कर रहे छात्र

विभाग के छात्र-छात्राएं आज भी पुराने उपस्कर से ही प्रैक्टिकल करने को विवश है. विभाग के हेड प्रो. कमल प्रसाद ने कहा कि विभाग के नाम कई ऐसे रिसर्च है. इससे विवि को नैक मूल्यांकन में बेहतर अंक मिला था. यहां के शिक्षकों का रिसर्च पत्र, जर्नल्स व शोध पर आधारित किताब देश व विदेश के नामचीन एजेंसी में छप चुकी है. अबतक विभाग के माध्यम से 700 से अधिक रिसर्च का प्रकाशन हो चुका है.

विभाग का भवन जर्जर

विभागाध्यक्ष ने कहा कि विभाग का भवन जर्जर है. पूर्व में लैब में प्रैक्टिकल के दौरान पूर्व हेड प्रो जगधर मंडल पर पंखा टूट कर गिर चुका है. छत की स्थिति काफी खराब है. बारिश होने पर पानी लैब में टपकता है. इससे कई कंप्यूटर सहित उपस्कर खराब हो चुके हैं. इस बाबत विभाग से विवि प्रशासन को सारी जानकारी दी गयी है. लेकिन भवन के मरम्मत का कार्य नहीं कराया गया.

तीन साल से नहीं मिला कंटेंजेंसी

विभाग से बताया गया कि तीन साल से विवि प्रशासन द्वारा कंटेंजेंसी नहीं दिया गया है. ऐसे में प्रैक्टिकल के लिए होने वाले सामान की खरीदारी नहीं हो पा रही है. चोक-डेस्टर तक के खरीदारी के लिए पैसे नहीं हैं. जब विभाग के बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं है.

लैब को समृद्ध करने की जरूरत

विभागाध्यक्ष ने कहा कि लैब को सीबीसीएस सिस्टम के तहत समृद्ध करने की जरूरत है. इसके लिए आठ से दस लाख खर्च करने होंगे. विवि सहयोग करे,तो लैब को समृद्ध किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि विवि के पूर्व कुलपति प्रो एनके झा के कार्यकाल में रूसा से पीजी विभागों के लैब को बेहतर रूप देने के लिए करीब ढ़ाई करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे. लेकिन उस राशि को दूसरे मद में खर्च कर दिया गया.

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