बिहार के इस पुस्तकालय में आज भी सुरक्षित है नेताजी का संदेश, दूर-दूर से पढ़ने आते हैं लोग

Subhash Chandra Bose Jayanti: नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 6 फरवरी 1940 को चंपारण में प्रवेश किया था. उन्होंने मेहसी के नागरिक पुस्तकालय के विजिटर बुक में अपना एक संदेश अंकित किया था जो आज भी उपलब्ध है. उसे पढ़ने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.

By Abhinandan Pandey | January 23, 2025 9:41 AM

Subhash Chandra Bose Jayanti: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विरासत बिहार के मुजफ्फरपुर और पूर्वी चंपारण में आज भी जीवंत है. 26 अगस्त, 1939 को मुजफ्फरपुर में उनकी ऐतिहासिक यात्रा के दौरान उन्होंने क्रांतिकारी ज्योतिंद्र नारायण दास और शशधर दास की बंका बाजार स्थित कप-प्लेट वाली चाय की दुकान का उद्घाटन किया था. इस दुकान का महत्व इसीलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह कप-प्लेट की पहली चाय दुकान थी. दोनों क्रांतिकारियों ने इस दुकान के बहाने क्रांतिकारियों को एकत्र होने की जगह बनायी थी. उस समय शहर के सोशलिस्ट नेता रैनन राय ने सुभाष चंद्र बोस को यहां बुलाया था.

70 मिनट भाषण देकर क्रांतिकारियों में फूंका था आजादी का जज्बा

दुकान के उद्घाटन के बाद सुभाष चंद्र बोस तत्कालीन गवर्नमेंट भूमिहार ब्राह्मण कॉलेज (अब एलएस कॉलेज) पहुंचे थे. जहां उनको सम्मानित किया गया था. नेताजी ने तिलक मैदान की सभा में करीब 70 मिनट भाषण देकर क्रांतिकारियों में आजादी का जज्बा फूंका था. इसके बाद नेताजी ओरिएंट क्लब पहुंचे, जहां बांग्ला भाषी समुदाय की ओर से उन्हें सम्मानित किया गया.

Also Read: बिहार में ठंड का कहर जारी, इन पांच जिलों में कोल्ड डे का अलर्ट, 16 में छाया घना कोहरा

पुस्तकालय में आज भी उपलब्ध है सुभाष चंद्र बोस का संदेश

मेहसी का नागरिक पुस्तकालय

स्वतंत्रता संग्राम के लिए देशवासियों को तैयार करने के उद्देश्य से निकले नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 6 फरवरी 1940 को चंपारण में प्रवेश किया था. उनका पहला पड़ाव मेहसी में था, जहां वे वीरेश्वर आजाद समेत अन्य क्रांतिकारियों से मिले थे. लौटते समय मेहसी के नागरिक पुस्तकालय के विजिटर बुक में अपना संदेश अंकित किया जो आज भी उपलब्ध है. पुस्तकालय के संरक्षक राजकुमार गुप्ता बताते हैं कि नेताजी के संदेश को सहेज कर रखा गया है. यहां आने वाले लोग नेताजी के संदेशों को बड़े ही चाव से पढ़ते हैं. इस उपलक्ष्य में हर साल उनकी जयंती पर कार्यक्रम आयोजित होता है.

नेता जी सुभाष चंद्र बोस द्वारा लिखित संदेश

Next Article

Exit mobile version