दलित विद्यार्थियों को नौकरी की तैयारी कराने के लिए स्थापित सेंटर में सफलता की दर शून्य

यह प्रशिक्षण केंद्र केंद्रीय अनुदान पर संचालित होता रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 1, 2020 7:50 AM

पटना : सरकारी पैसे पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति (दलित) के विद्यार्थियों को सरकारी एवं गैर सरकारी नौकरियों की तैयारी कराने के लिए पटना विश्वविद्यालय में स्थापित सेंटर से पिछले दो शैक्षणिक वार्षिक सत्रों में कितने विद्यार्थियों ने प्रतियोगी परीक्षा पास की, इसकी जानकारी पटना विश्वविद्यालय के हालिया वार्षिक प्रतिवेदन में नहीं दी गयी है.

यह प्रतिवेदन 26 नवंबर को बिहार विधान परिषद के पटल पर शिक्षा मंत्री ने पेश की है. बात साफ है कि सफलता की दर शून्य के करीब जा पहुंची है. यह प्रशिक्षण केंद्र केंद्रीय अनुदान पर संचालित होता रहा है.

हालांकि 2000 के दशक के पहले पांच सालों में इस सेंटर से निकले सफल विद्यार्थियों की संख्या अच्छी-खासी रही थी. वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के शैक्षणिक सत्र में इस सेंटर पर पढ़े कितने बच्चों ने सरकारी नौकरी हासिल की है, इसकी जानकारी रिपोर्ट में नहीं है. हालांकि सूत्र इसकी अलग-अलग वजह मानते हैं.

उल्लेखनीय है कि यह सेंटर 1987 से पटना विश्वविद्यालय में संचालित है. इस सेंटर पर प्रदेश के सभी जिलों से दलित युवक नौकरियों की तैयारी के लिए आते हैं. इनमें अधिकतर वे होते हैं, जिनकी माली हालत बेहद खराब होती है.

इस सेंटर पर बिहार शिक्षा सेवा, बिहार पुलिस सेवा, बिहार न्यायिक और प्रशासनिक सेवा की तैयारी के अलावा रेलवे, बैंकिंग आदि की सरकारी नौकरियों के लिए तैयारी करायी जाती है. इसके अलावा ऐसे युवकों के व्यक्तित्व विकास और उनमें वैज्ञानिक नजरिया विकसित करने की दिशा में प्रोत्साहित भी किया जाता है.

फिलहाल हालात ये हैं कि पिछले बीस सालों में इन सेंटर्स से अभी तक 277 विद्यार्थी ही सरकारी सेवा में जा सके हैं. 21वीं सदी के पहले दशक के पूर्वार्ध में सर्वाधिक चयनित दलित विद्यार्थियों की संख्या 158 रही थी.

इसके बाद सफलता की दर लगातार गिरती चली गयी. सफलता दर शून्य पर आ चुकी है. उल्लेखनीय है कि पटना विश्वविद्यालय के इस सेंटर की तर्ज पर ही मगध विश्वविद्यालय, जेपी विश्वविद्यालय, छपरा, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा और डॉ बीआर आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय में इस तरह के प्रशिक्षण केंद्र खोले गये हैं.

Posted by Ashish Jha

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