पटना. बिहार में इस बार भी चीनी का उत्पादन पिछले साल से कम हुआ है. इस साल के पेराई सत्र में 45.88 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ है. यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में कम है. पिछले साल के वार्षिक पिराई सत्र में 72.77 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था.
पिछले साल 675 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई हुई थी. इस साल चीनी के कम उत्पादन की वजह 458 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई हुई है. राहत की बात यह है कि चीनी उत्पादन कम होने के बाद चीनी के दाम पर बिल्कुल असर नहीं पड़ेगा.
यह देखते हुए कि चीनी मिलों के पास सरप्लस स्टॉक बचा हुआ है. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक चीनी मिलों को चीनी बेचने के लिए माहवार कोटा केंद्र जारी करता है. निर्धारित कोटे से अधिक या कम चीनी मिलें बाजार में चीनी नहीं उतार सकती हैं.
दरअसल कोटा सिस्टम इसलिए किया है ताकि चीनी के दाम धरातल पर न आ जाएं . यह देखते हुए कि इससे गन्ना उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ता है. बिहार की चीनी मिलों को जल्दी ही केंद्र सरकार इस माह का कोटा जारी करेगी.
इस बार बाढ़ और अन्य आपदाओं की वजह से प्रदेश की चीनी मिलें 85-88 दिन ही चलीं हैं. दरअसल क्रसिंग के लिए इस बार चीनी मिलों को कम गन्ना मिला. हालांकि, सामान्य दिनों में भी बिहार की मिलें बमुश्किल से 110-120 दिन ही चलती थीं.
केंद्र सरकार की सहमति के बाद राज्य की चीनी मिलों में इथेनॉल उत्पादन पर फोकस है. बिहार की चीनी मिलों की इथेनॉल उत्पादन क्षमता 395 केएलपीडी है. केंद्र सरकार ने 2024-25 में बिहार राज्य के लिए 1006 केएलपीडी इथेनॉल उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस लक्ष्य को पाने के लिए चीनी निगम की बंद पड़ी आठ चीनी मिलों की जमीन पर इथेनॉल प्लांट स्थापित किये जा सकते हैं.
Posted by Ashish Jha