सीतामढ़ी. रीगा चीनी मिल प्रबंधन के यहां जिले के गन्ना किसानों का सूद समेत 3110 लाख रुपये बकाया है. यह राशि वर्ष 2018-19 में आपूर्ति किए गए गन्ना की है. हाल के महीनों में कर्मचारी यूनियन के हठ समेत अन्य कारणों से मिल प्रबंधन ने मिल को इस बार बंद कर दिया है. यानी 2020-21 में गन्ना की पेराई नहीं की जा रही है.
इस बीच, विभिन्न कारणों से मिल प्रबंधन भी काफी विवादों में रहा है. मिल प्रबंधन पर सबसे गंभीर आरोप गन्ना किसानों का भुगतान नहीं करने का है. वर्ष 2018-19 का भी भुगतान प्रबंधन ने अब तक क्लियर नहीं किया है. हालांकि प्रशासन ने किसानों की बकाया राशि की वसूली के लिए शिकंजा कसना शुरू कर दिया है.
बताया गया है कि गन्ना विभाग के पदाधिकारी जेपी नारायण सिंह ने मिल के प्रबंध निदेशक ओम प्रकाश धानुका के खिलाफ नीलाम वाद दायर किया है. मिल सूत्रों ने भी इसकी पुष्टि की है. गौरतलब है कि विभाग के स्तर से मई 2020 में एक पत्र जारी किया गया था. इसके तहत चीनी बिक्री से प्राप्त राशि का 85 फीसदी का भुगतान गन्ना किसानों के बीच गन्ना के मूल्य का भुगतान किया जाना था.
मिल के प्रतिनिधि व गन्ना पदाधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर से सीधे गन्ना किसानों के बैंक खाते में भुगतान किया भी गया था. मिल के गोदाम में अब चीनी बचा ही नहीं है, जिसकी बिक्री कर किसानों को भुगतान किया जा सके. इसी कारण शेष राशि की वसूली के लिए गन्ना विभाग द्वारा मिल मालिक के खिलाफ नीलाम वाद दायर किया गया है. मिल सूत्रों ने बताया कि वाद के आलोक में जिला नीलाम पदाधिकारी द्वारा मिल के प्रबंध निदेशक को नोटिस भेजा गया है.
बताया गया है कि 2018-19 में मिल प्रबंधन द्वारा 45.26 लाख क्विंटल गन्ना की पेराई की गयी थी. उसका मूल्य 12293.14 लाख रुपये होता है. मिल द्वारा चीनी की बिक्री कर 9683 लाख का भुगतान किया गया, जबकि 2609 लाख बकाया रह गया.
वाद दायर किए जाने के दिन तक मिल प्रबंधन ने भुगतान नहीं किया है. इस अवधि का सूद 501 लाख रुपया होता है. इस तरह गन्ना का मूल्य व उसका सूद यानी कुल 3110 लाख की वसूली के लिए वाद दायर किया गया है.
Posted by Ashish Jha