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बिहार के गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी, गन्ना मूल्य दर में होगी बढ़ोतरी, मिल प्रबंधकों को दिया गया निर्देश

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निर्देश दिये हैं कि गन्ना मूल्य बढ़ाया जाये. विभाग का भी प्रस्ताव है कि गन्ना मूल्य की दर में बढ़ोतरी की जाये.

बिहार के गन्ना उद्योग मंत्री आलोक मेहता ने बिहार शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष, सदस्य, चीनी मिलों के प्रबंध निदेशक व मालिकों को निर्देशित किया है कि गन्ना मूल्य की बढ़ोतरी के संदर्भ में शीघ्र विचार करके विभाग को सूचित करें. उन्होंने यह निर्देश अभी हाल ही में आयोजित विभागीय बैठक में दिया है. गन्ना उद्योग मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि ईख मूल्य की दर में वृद्धि होने पर गन्ना किसानों को आर्थिक मदद मिलेगी. इससे वे गन्ने की खेती और अच्छी करेंगे. इसका परिणाम यह होगा कि चीनी मिलों की क्षमता के हिसाब से गन्ने की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी.

मुख्यमंत्री ने गन्ना मूल्य दर में इजाफे के लिए विभाग को कहा

बैठक में ईखायुक्त गिरिवर दयाल सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये हैं कि गन्ना मूल्य बढ़ाया जाये. विभाग का भी प्रस्ताव है कि गन्ना मूल्य की दर में बढ़ोतरी की जाये. बैठक में बिहार शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सीबी पाटोदिया ने बताया कि नये वेज बोर्ड के आने से चीनी उत्पादन में लागत बढ़ेगी. गन्ना के सह उत्पाद से प्राप्त आय से किसानों को समय पर ईख का मूल्य भुगतान हो पाता है. लिहाजा गन्ना मूल्य में इस वर्ष इजाफे का कोई औचित्य नहीं है.

चीनी की बिक्री मूल्य में लगातार गिरावट

गिरिवर दयाल सिंह ने ध्यान दिलाया कि चीनी की बिक्री मूल्य में लगातार गिरावट हो रही है. पाटोदिया ने बताया कि सरकार की तरफ से खाद और बीज पर दिये जाने वाले अनुदान की राशि को जलजमाव पर खर्च किया जाये. इस पर गन्ना उद्योग विभाग के प्रधान सचिव ने बताया कि चतुर्थ कृषि रोडमैप में चीनी मिल क्षेत्रों की जलजमाव की समस्या के समाधान के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की गयी है.

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बिहार में 9 चीनी मिल हैं कार्यरत 

हरिनगर शुगर मिल्स के प्रबंध निदेशक विवेक वित्ती ने बताया कि पिछले साल सरकार ने आश्वासन दिया था कि चीनी मिलों को 40 रुपये प्रति क्विंटल सॉफ्ट लोन दिया जायेगा, लेकिन इस मामले में अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है. अगर यह लोन मिलता, तो चीनी मिलों की स्थिति और मजबूत होती. बैठक में बताया गया कि राज्य में कार्यरत नौ चीनी मिलों में से लौरिया, सुगौली, गोपालगंज और मझौलिया चीनी मिलें कभी भी बंद हो सकती हैं. दरअसल इन चारों मिलों की आर्थिक हालात काफी खराब है.

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