बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के निर्देश पर सरकारी स्कूलों में गैरहाजिर रहने वाले विद्यार्थियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की जा रही है. लगातार तीन दिनों से अधिक अनुपस्थित रहने वाले छात्र-छात्राओं के नाम भी स्कूल से काटने का निर्देश उन्होंने दिया है. वहीं जिलों में अब इसे लेकर सख्ती बरती जा रही है और स्कूल नहीं आने वाले विद्यार्थियों के नामांकन रद्द किए जा रहे हैं. अबतक एक लाख से अधिक विद्यार्थियों के नाम प्रदेश के स्कूलों से कट चुके हैं. वहीं पश्चिमी चंपारण में एक ऐसा मामला आया है जहां एक छात्र का नाम स्कूल से काटने पर स्कूल के प्रधानाध्यापक और प्रखंड शिक्षा अधिकारी को समन मिल गया है.
बेतिया में सातवीं कक्षा के एक विद्यार्थी का नामांकन मठिया मिडिल स्कूल के प्रधान ने रद्द कर दिया. इस कार्रवाई को उक्त बच्चे के पिता ने चैलेंज कर दिया. लौरिया अंचल के मठिया गांव निवासी ललन यादव ने अपने बेटे का नाम स्कूल से काटे जाने के विरोध में वाद दायर कर दिया. जिसपर सुनवाई के क्रम में जिला बाल अधिकार समिति की पूर्ण पीठ ने माना कि स्कूल की ये कार्रवाई शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 21ए का स्पष्ट उल्लंघन है. वहीं दायर वाद में बताया गया कि उक्त छात्र अपनी बीमार मां की सेवा में करीब 20 दिन अनुपस्थित रहा. आरोप है कि सातवीं कक्षा के उक्त विद्यार्थी को तीन माह से अनुपस्थित बताकर उसका नामांकन विभागीय आदेश पर रद्द कर दिए जाने की जानकारी दी गयी और उसका नामांकन रद्द कर दिया गया है.
इस मामले की जानकारी देते हुए समिति के पूर्ण पीठ ने मठिया मध्य विद्यालय की नामांकन व उपस्थिति पंजी के साथ स्कूल के पीएम पोषण योजना के तहत संचालित मध्याह्न भोजन व्यवस्था की पंजी लेकर प्रधानाध्यापक और लौरिया के प्रखंड शिक्षा अधिकारी को सशरीर उपस्थित होने का सम्मन जारी कर दिया है. इतना ही नहीं उक्त निर्णय बाल अधिकार समिति के तीन सदस्यीय पूर्ण न्यायपीठ द्वारा एकमत होकर पारित करने की जानकारी जारी सम्मन में दी गई है. बात यहीं तक नहीं ठहरी बल्कि बाल अधिकार की जिला स्तरीय न्यायपीठ ने अपने द्वारा भेजे गए सम्मन का अनुपालन सुनिश्चित कराने में विभागीय अपर मुख्य सचिव, जिलाधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी से भी सहयोग मांगा है. बता दें कि विभागीय आदेश के बाद जिलाभर के सैकड़ों स्कूलों के ऐसे हजारों विद्यार्थियों का नाम काट काट दिए जाने की चर्चा है. पश्चिमी चंपारण समेत पूरे बिहार में अनुपस्थित रहने वाले छात्रों के नाम काटे जा रहे हैं.
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जिला बाल कल्याण समिति के स्तर पर आगामी 19 सितंबर को सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की गयी है. ऐसे अन्य वाद दायर होने और अपने विरुद्ध सम्मन जारी व शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधान के उल्लंघन को लेकर अपने विरुद्ध कार्रवाई के लिए अब शिक्षक आशंकित हो उठे हैं. अनेक शिक्षक और प्रभारी प्रधानाध्यापक बताते हैं कि बीते करीब तीन सप्ताह में हजारों विद्यार्थियों के नाम विद्यालयों में अनुपस्थिति के आधार पर काटे गए हैं. उनमें से कुछ भी अभिभावक शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों को लेकर कोर्ट गए तो दर्जनों आरोपित शिक्षक शिक्षिकाओं पर न्यायिक कार्रवाई हो सकती है. इधर समग्र शिक्षा एवम प्राथमिक शिक्षा के डीपीओ मनीष कुमार सिंह ने बताया कि नाम काटने की कार्रवाई विभागीय आदेश पर की जा रही है.
बता दें कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक इन दिनों बेहद सक्रिय हैं. स्कूलों में छात्रों व शिक्षकों की उपस्थिति को उन्होंने गंभीर मुद्दा माना है और सख्त फरमान जारी करते हुए कहा है कि जो छात्र केवल योजनाओं का लाभ लेने के लिए स्कूलों में नामांकन करके बैठे हैं उनका नाम काटना शुरू किजिए. जिलाधिकारियों को इसे लेकर विशेष आदेश जारी किए गए. वहीं इसपर अब जिलों में ताबड़तोड़ कार्रवाई की जा रही है. भागलपुर में करीब 20 हजार बच्चों के नाम काटे गए. बांका, जमुई व अन्य जिलों में भी नाम काटे जा रहे हैं. वहीं हाल में ही पूर्णिया और अररिया में निरीक्षण के लिए गए के के पाठक ने सख्त लहजे में ये आदेश दिया कि किसी भी कीमत पर अनुपस्थिति को हल्के में नहीं लिया जाए.
उधर, राज्यभर में सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक किसी भी कोचिंग संस्थान को नहीं चलाये जाने संबंधी शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक द्वारा जारी किये गये आदेश को हाइकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गयी है. यह आदेश अपर मुख्य सचिव द्वारा 31 जुलाई , 2023 को जारी किया गया था. यह याचिका हाइकोर्ट में कोचिंग एसोसिएशन ऑफ भारत व अन्य द्वारा दायर की गयी है.याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार के इस आदेश की वजह से न सिर्फ कोचिंग में पढ़ाने वाले लोगों के व्यवसाय में घाटा लगा है, बल्कि इससे छात्रों को भी नुकसान हुआ है.