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सुपौल बन रहा कैंसर का नया हॉट स्पॉट, हर दिन मिल रहे कैंसर के संभावित मरीज

सदर अस्पताल में हर दिन शनिवार और रविवार को छोड़कर ट्यूमर बोर्ड मीटिंग रखी जाती हैं. इसमें मुजफ्फरपुर से डॉक्टर की एक टीम रहती हैं, जो केस देखते हैं और आगे का इलाज बताते हैं. इसमें मुख्य रूप से मुंह स्तन और बच्चेदानी के कैंसर का इलाज बताया जाता है.

सुपौल. कैंसर रोग से बचाव व जागरुकता को लेकर होमी भाभा कैंसर संस्थान मुजफ्फरपुर से डॉक्टरों की टीम जांच के लिए बुधवार को सदर अस्पताल पहुंचे. कलस्टर कोऑर्डिनेटर डॉ सरिता कलिता, टेक्निकल ऑफिसर डॉ प्राची आनंद ने सदर अस्पताल में कार्यरत टीम के कामों का निरीक्षण किया और कार्यरत टीम को कई आवश्यक दिशा-निर्देश दिये. इस दौरान उन्होंने मौजूद डॉक्टरों एवं कर्मियों से स्क्रीनिंग को बढ़ाने को लेकर कई तरह के आवश्यक निर्देश भी दिये. इस दौरान सदर अस्पताल गैर संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ ममता कुमारी भी मौजूद थी.

कैंप लगा कर स्क्रीनिंग करने की जरुरत

टीम में शामिल डॉक्टरों ने बढ़ रहे कैंसर की रोकथाम को लेकर एवं कैंसर मरीज की पहचान अधिक से अधिक हो, माइक्रोप्लानिंग के तहत निरंतर गांव-मुहल्लों में कैंप लगा कर स्क्रीनिंग करने की बात कही. साथ ही यहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सक्रिय करने की बात की गई है. वहां भी जांच का सामान पहुंचाया जाएगा. इससे अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिल सके. गैर संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ ममता कुमारी ने बताया कि जिले में हर दिन कम से कम एक कैंसर का संभावित मरीज मिल रहे हैं. बुधवार को भी एक सर्वाइवल कैंसर का हाइली सस्पेक्टेड केस मिला. इसको बेहतर इलाज के लिए मधेपुरा मेडिकल रेफर कर दिया गया.

टेली कंसल्टेंसी से मरीजों का हो रहा उपचार

गैर संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ ममता कुमारी ने बताया कि सदर अस्पताल में हर दिन शनिवार और रविवार को छोड़कर ट्यूमर बोर्ड मीटिंग रखी जाती हैं. इसमें मुजफ्फरपुर से डॉक्टर की एक टीम रहती हैं, जो केस देखते हैं और आगे का इलाज बताते हैं. इसमें मुख्य रूप से मुंह स्तन और बच्चेदानी के कैंसर का इलाज बताया जाता है. अलग कैंसर के लिए भी डॉक्टर रहते हैं. इससे लोगों को बहुत लाभ पहुंच रहा है. बताया कि अब सदर अस्पताल में बायोप्सी जांच के साथ-साथ मरीजों को बेहतर इलाज हो, इसके लिये टेली कंसल्टेंसी के माध्यम से मरीजों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराया जा रहा है. मौके पर डॉ कल्पना भारती, डिस्ट्रिक टेक्निकल ऑफिसर डॉ राहुल वत्स, पेशंट असिस्टेंट डॉ आशीष कुमार, नर्स स्टाफ राखी कुमारी, डाटा एंट्री ऑपरेटर एमडी शाहिद अंसारी, एमटीएस संजय कुमार आदि उपस्थित थे.

सदर अस्पताल में बायोप्सी व टेली कंसल्टेंसी की मिल रही सुविधा

डॉ ममता कुमारी ने बताया कि सदर अस्पताल सुपौल में बायोप्सी व ओरल बायोप्सी की सुविधा शुरू कर दी गई है. इसके लिए लोगों को अब बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह जांच निःशुल्क प्रदान की जा रही है. बताया कि बायोप्सी टेस्ट के अंतर्गत जिस सेल्स में कैंसर का शक होता है, उसमें कुछ टिश्यूज को निकालकर लैब में खास जांच के लिए दी जाती है. यदि शरीर में कुछ खास तरह के लक्षण दिख रहे हैं तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर बायोप्सी जांच के लिए टिश्यूज को लैब में भेजते हैं. कैंसर का पता लगाने के लिए बायोप्सी टेस्ट ही ज्यादा कारगर माना जाता है. क्योंकि यही वो टेस्ट हैं, जो कैंसर के टिश्यूज और नॉन कैंसरस टिश्यूज में फर्क कर सकती है.

बिहार में हर आठ मिनट पर हो रही है एक कैंसर मरीज मौत

बिहार में हर पांच से आठ मिनट में कैंसर से यहां एक मरीज की मौत हो जा रही है. कैंसर के मामले में बिहार देश का चौथा सबसे बड़ा राज्य है. भारत में उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल ऐसे चार राज्य हैं, जहां कैंसर के सालाना एक लाख से अधिक मामले मिल रहे हैं. इन राज्यों में कैंसर से होने वाली मौतें भी सर्वाधिक हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार साल 2022 के बिहार कैंसर से होने वाली मौत के मामले में देश के राज्यों में चौथे स्थान पर है. यहां कैंसर मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. राजधानी पटना स्थित मेदांता के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. राजीव रंजन प्रसाद बताते हैं कि बिहार में प्रति वर्ष लगभग 1.20 लाख नये मामले आते हैं. इसमें पांच से छह प्रतिशत तक मरीजों की मौत हो जा रही है. आने वाले समय में कैंसर पीड़ितों की संख्या और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.

ये हैं राज्य के आंकड़े

राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम में अनुसार बिहार में वर्ष 2014 में 59,431, वर्ष 2015 में 62,651, वर्ष 2016 में 66,040, वर्ष 2017 में 69,607, वर्ष 2018 में 73,361, वर्ष 2019 में 73,781, वर्ष 2020 में 74,142, वर्ष 2021 में 74,894, वर्ष 2022 में 75,489 एवं वर्ष 2023 में लगभग 76 हजार लोगों की कैंसर के कारण मौत हुई है.

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