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खुले आसमान के नीचे रात काट रहे बाढ़ पीड़ित

परेशानी. विस्थापित परिवार दाने-दाने को हैं मोहताज, दुखड़ा सुनने वाला कोई नहीं हर साल बाढ़ आती है और तटबंध के बीच बसे लोगों के आशियाने को बिखेर कर चली जाती है. यही कारण है कि इस बार भी जिनके पास कभी खुद का आशियाना था, वे खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हैं. किसानों […]

परेशानी. विस्थापित परिवार दाने-दाने को हैं मोहताज, दुखड़ा सुनने वाला कोई नहीं

हर साल बाढ़ आती है और तटबंध के बीच बसे लोगों के आशियाने को बिखेर कर चली जाती है. यही कारण है कि इस बार भी जिनके पास कभी खुद का आशियाना था, वे खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हैं. किसानों की फसल डूब जाने से सारे अरमानों पर पानी फिर गया.
सुपौल : तटबंध के बीच बसे लोग भय और आशंका के बादल से घिरे हुए हैं. चहुंओर भय व सन्नाटा. शुभ-शुभ बाढ़ की अवधि बीत जाने की प्रतीक्षा. राहत की आश, लूट के किस्से. हवाई उड़ान, हवाई घोषणाएं. साल-दर-साल की यही कहानी-यही किस्से. इसके जड़ में है बाढ़. हर साल बाढ़ आती है और तटबंध के बीच बसे लोगों के आशियाने को बिखेर कर चली जाती है.
यही कारण है कि इस बार भी जिनके पास कभी खुद का आशियाना था, वे खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हैं. दिनानुदीन विस्थापितों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. विस्थापित परिवार दाने-दाने मोहताज हैं. राहत की और टकटकी लगाए लोगों को कोई देखने-सुनने वाला नहीं है. किसानों के धान की खेती समेत खेतों में लगी अन्य फसलों को भारी क्षति पहुंची है. इधर, सोमवार कोसी बराज पर 04 बजे 01 लाख 72 हजार 220 क्यूसेक व बराह क्षेत्र में 01 लाख 28 हजार 900 क्यूसेक डिस्चार्ज रिकॉर्ड किया गया है. उधर, पूर्वी तटबंध के 64.95 किलोमीटर स्पर पर पानी का भारी दबाव सोमवार को भी बरकरार रहा. हालांकि मुख्य अभियंता प्रकाश दास ने बताया कि खतरे की कोई बात नहीं है.
पेयजल व भोजन की समस्या से जूझ रहे विस्थापित परिवार
मरौना प्रखंड के कमरैल पंचायत के चंदरगढ़ गांव वार्ड नंबर 9 और बरहरा पंचायत के बेला गांव में स्थानीय लालेश्वर यादव, कपलेश्वर राम, भूपेन सदा, योगी सदा, नागेश्वर सदा, दिलो सदा आदि ने बताया कि कटाव लगने से सभी उम्मीदों और आशाओं पर पानी फेर दिया है. बताया कि घरों में रखी खाद्य सामग्री व ओढ़ने-बिछाने भी बर्बाद हो गये. काफी संपत्ति का नुकसान हुआ है. विस्थापित परिवार पेयजल व भोजन की समस्या से जूझ रहे हैं. पीड़ितों ने बताया कि कटाव ने सब कुछ तहस-नहस करके रख दिया है. शौचालय नहीं रहने के कारण महिलाओं को काफी परेशानी उठानी पड़ती है. सबसे बड़ी समस्या गर्भवती महिलाओं के साथ है. अभी की स्थिति में क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं के लिये सुरक्षित प्रसव सबसे बड़ी समस्या है. बताया कि हमलोग ढिबरी या फिर मोमबत्ती जला कर साल-दर- साल से रह रहे हैं. चुनाव के समय नेताजी कहते हैं कि जल्द ही दुधिया रोशनी से गांव जगमगाएगा. लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है. अब हमलोगों ने संतोष कर लिया है.
बाढ़ पीड़ितों के सामने रोटी के साथ ही जिंदगी बचाने की गंभीर समस्या

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