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टीका लगा बहनों ने मांगी भाई की लंबी उम्र

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By Prabhat Khabar Digital Desk | October 22, 2017 5:43 AM

आस्था. भाई और बहनों के बीच अटूट प्रेम का पर्व भैया दूज धूमधाम से मनाया गया

जिले में शनिवार को भैया दूज पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. वहीं भाइयों ने बहनों को सौगात व भेंट प्रदान कर अपने स्नेह का इजहार किया. पर्व को लेकर अहले सुबह से ही गहमा-गहमी बनी हुई थी.
सुपौल : भाई और बहनों के बीच अलौकिक एवं अटूट प्रेम का पर्व भैया दूज शनिवार को जिले में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. मौके पर भाइयों ने बहनों के घर पहुंच कर अपना स्नेह प्रकट किया. वहीं दूसरी ओर बहनों ने भाइयों को पूरे विधि-विधान के साथ तिलक, कुमकुम आदि लगा कर उनके लंबे जीवन की कामना की. मौके पर बहनों ने भाइयों का मुंह मीठा कराया. भाइयों ने भी पर्व के अवसर पर बहनों को सौगात व भेंट प्रदान कर अपने स्नेह का इजहार किया.
पर्व को लेकर जिले में अहले सुबह से ही गहमा-गहमी बनी हुई थी. मालूम हो कि कोसी व मिथिलांचल के क्षेत्र में भैया दूज का त्योहार काफी सिद्दत के साथ मनाया जाता है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के द्वितीया तिथि को यह त्योहार सदियों से मनाया जा रहा है. अपनी खास बहन नहीं रहने पर लोग रिश्तेे की बहन के घर जाकर भी पर्व की परंपरा का निर्वहण करते हैं. साथ ही भैया दूज के दिन बहन के घर से बिना भोजन किये वापस नहीं आने की परंपरा है.
सिमराही प्रतिनिधि के अनुसार भाई-बहन
का प्रमुख त्योहार भैया दूज प्रखंड क्षेत्रों में बड़े ही धूम धाम से मनाया गया. बहनों द्वारा अपने भाई के लिए व्रत रखकर भाई दूज के दिन भाई की लंबी आयु की प्रार्थना की गयी. हिंदू धर्म में भाई-बहन के स्नेह-प्रतीक के रूप में दो त्योहार मनाया जाता है. पहला रक्षाबंधन जो कि श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है तथा दूसरा त्योहार भाई दूज का होता है इसमें बहनें भाई की लंबी आयु की प्रार्थना करती है. सर्वप्रथम बहन द्वारा स्नान करके भगवान विष्णु और गणेश जी की पूजा की गयी उसके बाद भाई को तिलक लगाकर आसन पर चावल के घोल से बने चौका पर भाई को अपने हाथों से उनके हाथों की पूजा की गई.
सबसे पहले बहन द्वारा अपने भाई के हाथों पर सिंदूर लगाकर फूल, पान, सुपारी व मुद्रा रख कर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ते हुए मंत्र गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को. सुभद्रा पूजे कृष्ण को गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें फूले फलें कहते हुए विधिवत भाई की लंबी उम्र हेतु पूजा की गयी.
भाई दूज (भातृद्वितीया) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं. भाइदूज में हर बहन रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए कामना करती है. मौके पर भाई बहन को कुछ उपहार भी देते हैं. भाइदूज दीपावली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्ति करता है.
इस त्योहार के पीछे एक किंवदंती यह है कि यम देवता ने अपनी बहन यमी (यमुना) को इसी दिन दर्शन दिया था. जो बहुत समय से उससे मिलने के लिए व्याकुल थी. अपने घर में भाई यम के आगमन पर यमुना ने प्रफुल्लित मन से उसकी आवभगत की. यम ने प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि इस दिन यदि भाई-बहन दोनों एक साथ यमुना नदी में स्नान करेंगे तो उनकी मुक्ति हो जाएगी. इसी कारण इस दिन नदी में भाई-बहन के एक साथ स्नान करने का बड़ा महत्व है. इसके अलावा यमी ने अपने भाई से यह भी वचन लिया कि जिस प्रकार आज के दिन उसका भाई यम उसके घर आया है. हर भाई अपनी बहन के घर जाए. तभी से भाइदूज मनाने की प्रथा चली आ रही है.
बहनें करती हैं भाई की दीर्घायु की कामना
पर्व के मौके पर बहनें पीढ़ियों पर चावल के घोल से चौक बनाती हैं. इस चौक पर भाई को बैठा कर बहनें उनके हाथों में पान, सुपाड़ी आदि रख कर पूजा करती हैं. उसके ऊपर सिंदूर लगाकर कद्दू के फूल, पान, सुपारी मुद्रा आदि हाथों पर रखकर धीरे-धीरे पानी हाथों पर छोड़ते हुए कुछ मंत्र बोलती हैं जैसे गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े. इसी प्रकार के मंत्र के साथ हथेली की पूजा की जाती है.
सांप काटे, बाघ काटे, बिच्छू काटे जो काटे सो आज काटे इस तरह के शब्द इसलिए कहे जाते हैं, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि आज के दिन अगर भयंकर पशु काट भी ले तो यमराज के दूत भाई के प्राण नहीं ले जाएंगे. इस दिन बहनें भाई के सिर पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और फिर हथेली में कलावा बांधती हैं. भाई का मुंह मीठा कराने के लिए उन्हें माखन मिश्री भी खिलाती हैं. संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं. इस समय ऊपर आसमान में चील उड़ता दिखाई दे तो बहुत ही शुभ माना जाता है.

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