नहरों पर सेवा पथ निर्माण से सुधरेगी सिंचाई व्यवस्था, लाभान्वित होंगे किसान
सुपौल : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बुधवार को सुपौल के सरायगढ़ में 879.75 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास, बाढ़ आपदा से बचाव एवं खेतों की सिंचाई की दिशा में जिला ही नहीं बल्कि पूरे कोसी क्षेत्र के लिये महत्वपूर्ण कार्य माना जा रहा है. गौरतलब है कि बिहार का शोक कही जाने वाली कोसी नदी […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
May 25, 2018 5:41 AM
सुपौल : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बुधवार को सुपौल के सरायगढ़ में 879.75 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास, बाढ़ आपदा से बचाव एवं खेतों की सिंचाई की दिशा में जिला ही नहीं बल्कि पूरे कोसी क्षेत्र के लिये महत्वपूर्ण कार्य माना जा रहा है. गौरतलब है कि बिहार का शोक कही जाने वाली कोसी नदी हर वर्ष मॉनसून काल में भारी तबाही मचाती है.
बाढ़ विभीषिका की त्रासदी झेलना इलाके के लोगों की नियति बन चुकी है. बाढ़ से कोसी के तकरीबन सभी जिले प्रभावित होते हैं. यह दीगर बात है कि नेपाल सीमा पर बसे होने की वजह से सुपौल जिले को अधिक क्षति उठानी पड़ती है. सनद रहे कि हिमालय के विभिन्न हिमखंडों व ग्लेशियरों से निकलने वाली कोसी नेपाल के रास्ते सर्वप्रथम सुपौल जिले में प्रवेश करती है. सीमा क्षेत्र के भीमनगर में कोसी की जलधारा को नियंत्रित करने हेतु करीब 55 वर्ष पूर्व कोसी बराज का निर्माण कराया गया.
वहीं नदी को सीमित क्षेत्र में बहाने के उद्देश्य से पूर्वी एवं पश्चिमी कोसी तटबंध का निर्माण किया गया. यह अलग बात है कि इन बड़ी कवायदों के बावजूद कोसी की उच्छृंखल धारा समय-समय पर तटबंध के कैद से बाहर निकलने में सफल होती रही. जिसका परिणाम लोगों को बाढ़ त्रासदी के रूप में झेलना पड़ा. वर्ष 2008 में कुसहा के समीप बांध टूटने से मची भीषण तबाही का मंजर आज भी लोगों के जेहन में कैद है. सन् 1962 में निर्मित कोसी तटबंध समय के साथ कमजोर होता जा रहा है. नतीजा है कि हर वर्ष बाढ़ निरोधात्मक कार्य में सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किये जाते हैं.
विशेषज्ञों की राय में तटबंध के ऊंचीकरण व सुदृढ़िकरण के लिए बड़ी व महत्वाकांक्षी परियोजना की दरकार थी. ऐसे में मुख्यमंत्री द्वारा बुधवार को करीब 800 करोड़ की इन परियोजनाओं का शिलान्यास, बाढ़ बचाव व सिंचाई प्रणाली दुरुस्त करने की दिशा में एक अहम कड़ी मानी जा रही है. सीएम ने यहां कुल 04 परियोजनाओं का शुभारंभ किया है. जिसमें दो परियोजना वर्ष 2019 एवं अन्य दो वर्ष 2020 में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है. परियोजना से सुपौल के साथ ही सहरसा, मधेपुरा, मधुबनी एवं दरभंगा जिले के करीब एक करोड़ से अधिक लोग लाभान्वित होंगे. वहीं तटबंध व स्परों की मजबूतीकरण से बाढ़ आपदा की संभावना भी कम हो पायेगी. वहीं बाढ़ त्रासदी से होने वाली करोड़ों की क्षति पर जब विराम लगेगा तो कोसी का इलाका स्वत: विकास की रौशनी से समृद्ध होकर खुशहाल बन पायेगा.
120 करोड़ की लागत से 17 स्परों पर होगा कार्य:योजना के तहत सहरसा जिला अंतर्गत पूर्वी तटबंध के 78 से 84 किलोमीटर के बीच कोसी बाढ़ समुत्थान परियोजना के तहत कुल 17 स्परों पर सुरक्षात्मक एवं पुनर्स्थापन कार्य कराया जायेगा. इससे विशेष रूप से नवहट्टा प्रखंड की करीब डेढ़ लाख की आबादी लाभान्वित होगी. वहीं 20 हजार हेक्टेयर भूमि सुरक्षित हो पायेगा. 26 मार्च 2020 तक कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य तय किया गया है.
नहर पर सेवा पथ का होगा निर्माण :योजना के तहत रानीपट्टी वितरणी पूर्वी कोसी मुख्य नहर के 60.20 से निकलती है. जिसकी लंबाई 47.135 किलोमीटर है. नहर के माध्यम से सुपौल एवं मधेपुरा जिले के 25 गांवों को सिंचाई की सुविधा मिल पाती है. नहर पर सेवा पथ का पक्कीकरण नहीं रहने के कारण नहर संचालन, निरीक्षण व अन्य सुविधाओं में कठिनाई होती है. इसके मद्देनजर रानीपट्टी वितरणी के सेवा पथ के पक्कीकरण का कार्य 73.94 करोड़ की लागत से कराया जायेगा. उक्त कार्य से सुपौल एवं मधेपुरा जिले के छातापुर, त्रिवेणीगंज एवं कुमारखंड प्रखंड के करीब 01 लाख 56 हजार लोग लाभान्वित होंगे. कार्य पूर्ण करने की तिथि 30 सितंबर 2019 तय की गयी है. सेवा पथ के पक्कीरण से कृषकों को अपने उत्पाद बाजार ले जाना भी सुलभ होगा.
एक अरब से अधिक की लागत से स्पर होंगे सुरक्षित
जल संसाधन विभाग द्वारा कोसी प्रक्षेत्र के विकास हेतु बिहार कोसी बेसिन विकास परियोजना अंतर्गत पूर्वी कोसी तटबंध के संवेदनशील स्थलों व स्परों का सुरक्षात्मक एवं पुनर्स्थापन कार्य कुल 106.92 करोड़ की लागत से किया जायेगा. योजना के तहत पूर्वी कोसी तटबंध के 15.50 से 28.20 किलोमीटर के बीच 14 स्परों पर सुरक्षात्मक व पुनर्स्थापन कार्य होगा. साथ ही गोताखोर के माध्यम से पानी के अंदर जलीय सर्वेक्षण करा कर पानी के अंदर एवं बाहर यांत्रिक विधि से बुनाई की गयी डबल ट्वीस्टेड जिंक एवं पीभीसी कोटेड स्टील गैवियन व मेगा जिओ बैग से कार्य का कार्यान्वयन कराया जायेगा. कार्य पूर्ण कराने का निर्धारित लक्ष्य 28 मार्च 2020 रखा गया है. इस महत्वपूर्ण कार्य से कोसी तटबंध के संवेदनशील क्षेत्र में नदी का तटबंध पर दबाव कम हो पायेगा. जिले के सरायगढ़ एवं बसंतपुर प्रखंड में बाढ़ से होने वाली क्षति भी रुकेगी.
पूर्वी एवं पश्चिमी तटबंध का होगा ऊंचीकरण-सुदृढ़ीकरण
सीएम नीतीश कुमार ने जिन परियोजनाओं का शिलान्यास किया, उनमें सबसे बड़ी परियोजना तटबंधों के ऊंचीकरण एवं सुदृढ़ीकरण की है. योजना के तहत 578.82 करोड़ की लागत से पूर्वी एवं पश्चिमी बांध का ऊंचीकरण-सुदृढ़ीकरण एवं पक्कीकरण किया जायेगा. वहीं निर्मली-घोघडिया लिंक रोड, बलान मार्जिनल बांध एवं पश्चिमी कोसी मुख्य नहर के बांया बांध का ऊंचीकरण, सुदृढ़ीकरण के अलावा दो अदद एंटी फ्लड स्लूईस, चार अदद कलभर्ट एवं चार द्विपथीय सेतु का निर्माण व पुनर्स्थापन कार्य कराया जायेगा. योजना से सुपौल, मधुबनी, दरभंगा एवं सहरसा जिले के बसंतपुर, भपटियाही, किसनपुर, सुपौल, मरौना, निर्मली, लौकही, घोघडिहा, मधेपुर, किरतपुर, नवहट्टा, महिषी, सिमरी बख्तियारपुर एवं सलखुआ प्रखंड के करीब एक करोड़ से अधिक लोग लाभान्वित होंगे. इसके साथ ही बाढ़ एवं नदी के कटाव से निजी व राष्ट्रीय संपदा की सुरक्षा सुनिश्चित होगी तथा 10 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि सुरक्षित हो पायेगी. वहीं यातायात हेतु एक वैकल्पिक मार्ग भी उपलब्ध होगा. जिसकी वजह से यह योजना काफी जनोपयोगी एवं विकासोन्मुखी मानी जा रही है.