कोसी उफान पर, दहशत में 131 गांवों के तीन लाख लोग

अमरेंद्र जलस्तर बढ़ने के साथ ही शुरू हुआ विस्थापन, छह प्रखंडों की 36 पंचायतें बाढ़ से प्रभावित सुपौल : मानसून प्रारंभ होते ही कोसी प्रभावित क्षेत्र के लोगों को बाढ़ विभीषिका की चिंता फिर सताने लगी है. उन्हें पता है कि वर्षा ऋतु शुरू होने के साथ ही कोसी का जलस्तर बढ़ने लगा है. वहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 2, 2018 2:54 AM

अमरेंद्र

जलस्तर बढ़ने के साथ ही शुरू हुआ विस्थापन, छह प्रखंडों की 36 पंचायतें बाढ़ से प्रभावित

सुपौल : मानसून प्रारंभ होते ही कोसी प्रभावित क्षेत्र के लोगों को बाढ़ विभीषिका की चिंता फिर सताने लगी है. उन्हें पता है कि वर्षा ऋतु शुरू होने के साथ ही कोसी का जलस्तर बढ़ने लगा है. वहीं ग्रीष्म ऋतु के कारण कोसी के उद‍्गम स्थित ग्लेशियरों के पिघलने की प्रक्रिया तेज हो जाती है. नतीजा बाढ़ का विकाराल रूप होता है. जिसे हर वर्ष झेलना तटबंधों के बीच बसे लाखों लोगों की नियति बन चुकी है.

हालांकि प्रशासन के लोग बाढ़ पूर्व पुख्ता तैयारी का दावा करते हैं. यह कोई नयी बात नहीं है. तैयारी तो हर साल होती है. निरोधात्मक कार्य के खर्च के रूप में करोड़ों रुपये कोसी की विशाल जलधारा में बह भी जाता है.

हालांकि सरकारी कवायद व करोड़ों के खर्च के बावजूद कोसी अब तक आठ बार सीमा लांघ चुकी है. बावजूद कोसी की समस्या का अब तक स्थायी निदान नहीं किया जा सका है. प्रभावित क्षेत्र के लोगों को अब इस बातों से कोई मतलब व उम्मीद भी नहीं रहती. उन्हें तो बस कोसी मैया के रहमो-करम का सहारा होता है.

छह प्रखंडों की 36 पंचायतें हैं प्रभावित

सुपौल जिले के छह प्रखंडों के 36 पंचायत बाढ़ से कमोबेश प्रभावित हैं. जहां 131 गांवों में बसी करीब 3 लाख की आबादी को बाढ़ की त्रासदी व विस्थापन का दंश हर साल झेलना उनकी मजबूरी बनी हुई है. सुपौल, किसनपुर, सरायगढ़, निर्मली, मरौना एवं बसंतपुर प्रखंड स्थित प्रभावित क्षेत्र में कोसी हर साल भीषण तबाही मचाती है. जिसमें लोगों के खेत व फसल डूब जाते हैं. बना-बनाया आसियाना उजड़ जाता है. वहीं कितने मनुष्य व पशुओं को जान भी गंवानी पड़ती है.

शुरू हुआ विस्थापन

15 जून से बाढ़ काल प्रारंभ होने के साथ ही प्रभावित क्षेत्र से लोगों का विस्थापन भी शुरू हो गया है. बलवा, तेलवा, घुरण, गोपालपुर सिरे, किसनपुर के मौजहा, नौआबाखर, दुबियाही, बौराहा, परसा माधो, मरौना के घोघरडिया, सिसौनी, सरायगढ़ के बनैनियां व ढोली जैसे पंचायतों में प्रभावित क्षेत्र के लोग अभी से सुरक्षित ठिकाने की ओर कूच करने लगे हैं.

जलस्तर में बढ़ोतरी

दो दिनों से जिले के अलावा कोसी के नेपाल स्थित जलग्रहण क्षेत्र में हो रही बारिश से नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी प्रारंभ हो चुकी है. नियंत्रण कक्ष के सूचना के मुताबिक कोसी का डिस्चार्ज शनिवार को बराज पर 92 हजार 675 क्यूसेक था, जो रविवार को बढ़ कर 01 लाख 06 हजार क्यूसेक हो गया. जलस्तर में और भी वृद्धि की संभावना जतायी जा रही है.

सुरक्षित ठिकानों की ओर पलायन शुरू

किसनपुर : कोसी बांध के भीतर रविवार की सुबह से कोसी नदी के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि से लोगों में दहशत का हौल शुरू हो गया है. 16 पंचायतों में से परसा माधो, बौरहा, नौआबाखर, मौजहा, दुबयाही पूर्ण रूप से प्रभावित है.

साथ ही शिवपुरी, किसनपुर उत्तर, किसनपुर दक्षिण, कटहरा-कदमपुरा का आंशिक भाग से कोसी प्रभावित है. 9 पंचायत के लगभग 35 गांव के लोगों को हर साल चार माह तक बाढ़ का समाना करना पड़ता है. बाढ़ के समय परसा, सोनवर्षा, बुर्जा, खाप, चमेलवा, हांसा, लक्ष्मीनियां, नौआबाखर, परसाही, झखराही, सुजानपुर, मौजहा, पीरगंज, भेलवा, मोमीन टोला, दिघिया, दुबियाही, सिसवा, पंचगछिया, पकड़िया, डुमरिया, बुढ़िया डीह, ठाढ़ी धाता, खखैय पश्चिम सहित कई अन्य गांव शामिल है. जहां 50 हजार से अधिक की आबादी बाढ़ की चपेट में हैं.

सरकारी नाव का नहीं हो रहा परिचालन : मौजहा गांव के पश्चिम पूर्वी नदी में कटनियां की शुरुआत हो गयी है. लोग अपने निजी नाव के सहारे नदी पार कर रहे हैं. सरकारी स्तर पर अभी एक भी नाव परिचालन नहीं किया गया है. बाढ़ पूर्व तैयारी हेतु प्रखंड स्तर पर बैठक भी नहीं हो पाया है. नाविक तथा नाव मालिकों का नाव परिचालन हेतु प्रशिक्षण हो गया है. लेकिन नाव की एमवीआइ जांच नहीं हो पायी है.

एमवीआइ जांच के बाद संभवत: 10 जुलाई से नाव परिचालन हो पायेगा. गौरतलब है कि पिछले साल 60 जगहों पर सरकारी तथा गैर सरकारी नाव चल रहा था. लेकिन इस साल सभी बाढ़ प्रभावित पंचायत के मुखिया को घाटों के स्थल का चयन करने का आदेश दिया गया है. नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी से लोगों ने अपने घरों को नदी के बगल से हटा कर ऊंचे स्थान पर ले जाने की तैयारी शुरू कर दी है.

10 जुलाई से शुरु हाेगा सरकारी नाव का परिचालन

इस आलोक में अंचलाधिकारी अजीत कुमार लाल ने बताया कि एमवीआइ रिपोर्ट आने के बाद आगामी 10 जुलाई से नाव का परिचालन शुरू किया जायेगा. मुखिया को स्थल चयन का भार दिया गया है. मुखिया से सूची ले रहे है. कहा कि कड़ा आदेश दिया है कि एक भी गलत जगह पर नाव नहीं चलने दी जायेगी. इस बार बराबर जांच किया जायेगा.

तैयार है जिला प्रशासन

जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता प्रकाश दास ने बताया कि बाढ़ को लेकर प्रशासन व अभियंताओं की टीम पूरी तरह तैयार है. बांध के प्रत्येक किलोमीटर पर निगरानी हेतु अधिकारी, अभियंता एवं सुरक्षा बल की टोली तैनात की गयी है. बोल्डर, सैंड बैग व जरूरी संसाधन उपलब्ध हैं. प्रशासन चौकस है. लोगों के लिये चिंता की कोई बात नहीं है.

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