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चार माह में 151 अग्निकांड की घटना में जले 1179 घर

चार माह में 151 अग्निकांड की घटना में जले 1179 घर

चार माह में 151 अग्निकांड की घटना में जले 1179 घर, 15 करोड़ से अधिक की संपत्ति खाक

सबसे अधिक सदर अनुमंडल क्षेत्र में घटित हुई घटना

फोटो- 08, 09 कैप्सन – अग्निशमन विभाग के कर्मी, लोगों को किया जा रहा जागरूक.

प्रतिनिधि, सुपौल

भीषण गर्मी में जहां लोग धूप की तपिश से झुलस रहे हैं. वहीं तेज रफ्तार की पछुआ हवा चलने से आयें दिन अग्निकांड की भीषण घटना सामने आ रही है. यही कारण है कि जिले में पिछले चार माह में 151 अग्निकांड की घटना हुई. जिसमें कुल 1179 घर जलकर राख हो गये. वहीं 15 करोड़ से अधिक की संपत्ति का नुकसान बताया जा रहा है. पिछले चार माह में सबसे अधिक अग्निकांड की घटना सुपौल अनुमंडल क्षेत्र में हुई. जहां 84 अग्निकांड की घटना में 955 घर जलकर राख हो गया. त्रिवेणीगंज अनुमंडल क्षेत्र में 35 अग्निकांड की घटना में 123 घर, निर्मली अनुमंडल क्षेत्र में 12 अग्निकांड में 108 घर एवं वीरपुर अनुमंडल क्षेत्र में 20 अग्निकांड की घटना में 93 घर जलकर राख हो गये.

स्टेडियम में चल रहा अग्निशमन विभाग

आग बुझाने की जिसपर है जिम्मेदारी उसे ही नहीं है अपना घर, अग्निशमन विभाग स्टेडियम परिसर में है स्थित. जिले को बने हुए 34 वर्ष बीत चुके हैं. बावजूद अग्निशमानलय विभाग को अपना कार्यालय नसीब नहीं हो पाया है. वहीं जिले में अग्निशमन विभाग में कर्मियों की कमी एवं दमकल वाहन पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं रहने के कारण प्रत्येक वर्ष हजारों घर आग की भेंट चढ़ रहा है. जानकारी अनुसार जिले भर में अग्निशमन विभाग में अधिकारी से लेकर चालक तक कुल 96 कर्मी हैं. जिसमें 13 महिला एवं 83 पुरुष कर्मी हैं. जिले में दमकल की 16 गाड़ी है. जिसमें 4500 लीटर क्षमता वाला 04 गाड़ी, 3000 लीटर क्षमता वाला 04 गाड़ी एवं 450 लीटर क्षमता वाला 08 गाड़ी शामिल है.

झुग्गी झोपड़ी बनाने में जलने वाले सामानों का नहीं करें प्रयोग : विनोद

सदर अनुमंडल अग्निशामालय पदाधिकारी विनोद कुमार ने बताया कि बिहार अग्निशमन सेवा सुपौल द्वारा गांव से लेकर शहर तक प्रतिदिन आग से बचाव को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. साथ ही मॉक ड्रील के माध्यम से आग से बचाव की जानकारी भी दी जा रही है. अग्निशमन विभाग द्वारा आग से बचाव को लेकर कई दिशा-निर्देश भी जारी किया गया है. जिसमें बताया गया है कि झुग्गी झोपड़ी बनाने में इस्तेमाल सामान जलने वाला न हो, इन्हें बनाने में प्लास्टिक शीट, कपड़े, तिरपाल आदि का इस्तेमाल न करते हुए लोहे के पोल, सीमेंट या टिन की चदरे, ईंट आदि का इस्तेमाल करें. झुग्गी के अंदर व बाहर मिट्टी का लेप करने से आग से बचाव किया जा सकता है. झुग्गी झोपड़ी में कम से कम तीन से चार मीटर की दूरी अवश्य रखें. बिजली का अनाधिकृत उपयोग न करें, अधिकृत रूप से बिजली के मीटर से कनेक्शन लें. नंगी तारों का उपयोग न करके प्लग-सॉकेट का इस्तेमाल करें, घर से बाहर जाते समय सभी बिजली का उपकरण बंद कर दें, अधिकृत एलपीजी सिलिंडर खरीदें, इस्तेमाल के बाद रेगुलेटर बंद कर दें, बीड़ी-सिगरेट, माचिस आदि इधर-उधर न फेंके. पटाखे आदि न जालाएं, यह ज्वलनशील है और खतरनाक आग का कारण हो सकता है. हमेशा अग्नि सुरक्षा उपायों जैसे पानी की बाल्टी, रेत की बाल्टी, गमला आदि में पानी रखें और हमेशा अपने पहुंच में रखें. मिट्टी के तेल, स्टोव, चूल्हे का इस्तेमाल कम करें, खाना बनाने के बाद चूल्हे की आग को पूरी तरह बुझा दें. आग लगने पर तुरंत सभी लोगों की सुरक्षित स्थान पर पहुंचने में मदद करें, बच्चों, बुजुर्गों व अपाहिज लोगों का विशेष ध्यान रखें, तुरंत फायर ब्रिगेड बिहार अग्निशमन सेवा को 101 नंबर पर सूचित करें, यह सेवा मुफ्त है. फायर सर्विस की गाड़ी आने के लिए रास्ता रखें, गाड़ी को रास्ता दें और आग तक पहुंचने में मदद करें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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