चांद के चारों ओर बना वृत्तीय घेरा, प्रकृति की अद‍्भुत छटा देख हतप्रभ रहे लोग

सुपौल : जिले में रविवार की रात प्रकृति की रोचक व अद‍्भूत लीला देख कर लोग हतप्रभ थे. दरअसल आसमान में चंद्रमा के चारों ओर बिल्कुल गोल एक सफेद वृत बना हुआ था. जिसे जिले के विभिन्न हिस्सों में लोगों द्वारा देखा गया. लंबे समय तक प्रकृति के इस अद‍्भूत नजारे को लोग निहारते रहे. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 19, 2019 7:06 AM
सुपौल : जिले में रविवार की रात प्रकृति की रोचक व अद‍्भूत लीला देख कर लोग हतप्रभ थे. दरअसल आसमान में चंद्रमा के चारों ओर बिल्कुल गोल एक सफेद वृत बना हुआ था. जिसे जिले के विभिन्न हिस्सों में लोगों द्वारा देखा गया. लंबे समय तक प्रकृति के इस अद‍्भूत नजारे को लोग निहारते रहे. वहीं इसे लेकर लोगों में तरह-तरह की चर्चाओं का दौर भी जारी रहा.
कुछ लोगों ने जहां इसे धर्म व अंधविश्वास से जोड़ कर देखा. वहीं अधिकांश लोगों ने इसे एक खगोलीय घटना बताया. शहर के चौक-चौराहों व सड़कों के अलावे ग्रामीण क्षेत्रों में भी चांद और इसके चारों ओर बने घेरे की जम कर चर्चा हो रही थी.
लोग एक-दूसरे को फोन पर भी इस अद‍्भूत घटना की जानकारी दे रहे थे. वहीं कई लोग मोबाइल व कैमरों में इस अद‍्भूत छटा को कैद करने में लगे हुए थे. आसमान में दिखे इस रोचक नजारे की चर्चा सोशल मीडिया पर भी छाई रही. लोगों ने फेसबुक, ट‍्वीटर, व्हाटसएप्प आदि पर इसकी तस्वीर शेयर की. वहीं इस संबंध में बहस का भी सिलसिला जारी रहा.
स्थानीय शिक्षक रंधीर राणा ने इसे ऑफ मून बताया. कहा कि सितंबर-अक्तूबर व फरवरी-मार्च के महीने में अमूमन ऐसा देखा जाता है. चांद के चारों तरफ गोल घेरा बन जाता है. जिसे हेलो ऑफ मून कहते हैं. बताया कि आकाश में बादलों में आइस क्रिस्टल होते हैं. जो कई बार चांद की रोशनी से टकराने के बाद इस प्रकार प्रतिबिंबित होते हैं.
यह एक सामान्य खगोलीय घटना है, जिसे कुछ लोग मून रिंग व विंटर हेलो के अलावा निम्बस या आइस बो भी कहते हैं. वहीं अधिवक्ता अनिल वर्मा ने इसे चांद का वलय बताया. कहा कि बड़े-बुजुर्ग इसे सभा लगना कहते हैं. इससे जुड़ी एक कहावत भी है ‘लगय सभा दूर वर्षा-दूर सभा लगय वर्षा’. बहरहाल चांद के चारों ओर बने इस आकृति की चर्चा रविवार की रात से लेकर सोमवार तक जारी रही और लोगों के आकर्षण का केंद्र बना रहा.

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