समर्पण, निष्ठा और कर्मठता के प्रतीक थे विश्वमोहन

फोटो-16कैप्सन- विश्वमोहन की फाइल फोटोछातापुर. आर्थिक विपन्नता के बीच छातापुर के ग्वालपाड़ा गांव में दलित परिवार में पैदा लिए विश्वमोहन भारती की पूरी जिंदगी संघर्षों से भरी पड़ी है. गरीबी के बावजूद एमएससी तक की शिक्षा ग्रहण की. राजकीय संपोषित उच्च विद्यालय चरणै से 1982 में बोर्ड परीक्षा पास करने के बाद केपी कॉलेज मुरलीगंज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 24, 2015 8:04 PM

फोटो-16कैप्सन- विश्वमोहन की फाइल फोटोछातापुर. आर्थिक विपन्नता के बीच छातापुर के ग्वालपाड़ा गांव में दलित परिवार में पैदा लिए विश्वमोहन भारती की पूरी जिंदगी संघर्षों से भरी पड़ी है. गरीबी के बावजूद एमएससी तक की शिक्षा ग्रहण की. राजकीय संपोषित उच्च विद्यालय चरणै से 1982 में बोर्ड परीक्षा पास करने के बाद केपी कॉलेज मुरलीगंज से इंटर के बाद स्नातक की डिग्री हासिल की. इसके बाद वे 1986-88 में सहरसा कॉलेज सहरसा से एमएससी किये. इसी दौरान राजनीति के रंग में कुछ इस तरह रंगे कि फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा. वर्ष 1995 में पहली बार जनता दल के टिकट पर छातापुर विधानसभा क्षेत्र से चुने गये. वर्ष 2000 के चुनाव एवं 2003 के उपचुनाव में मामूली अंतर से पराजय का सामना करना पड़ा. लगातार दो हार के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पार्टी संगठन के लिए काम करते रहे. नतीजतन 2005 के चुनाव में जदयू ने उन्हें दोबारा छातापुर से प्रत्याशी बनाया, जिसमें जीत दर्ज की. संगठन के निर्णय के कारण 2010 के चुनाव में उन्हें टिकट से वंचित होना पड़ा. बहरहाल वे जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष थे. राजनीति से अलग विश्वमोहन की अपनी एक अलग पहचान भी थी. वे समर्पण, निष्ठा और कर्मठता के प्रतीक थे. ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दूत बन कर साक्षरता का अलख भी जगाया था. यही वजह थी कि शव यात्रा के दौरान हर आम और खास की आंखें नम थीं.

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