गांवों में घुसा पानी, लचर है राहत कार्य

पर्याप्त नाव की व्यवस्था नहीं होने से प्रभावित हो रहा बचाव कार्य आलमनगर/फुलौत : लगातार तीन दिनों से हो रही मूसलधार बारिश एवं कोसी बैराज से छोड़े गये पानी से अनुमंडल के आलमनगर एवं चौसा प्रखंड के दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में आ गये हैं. वहीं प्रखंड मुख्यालय से सड़क संपर्क भंग हो जाने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 22, 2015 6:24 AM

पर्याप्त नाव की व्यवस्था नहीं होने से प्रभावित हो रहा बचाव कार्य

आलमनगर/फुलौत : लगातार तीन दिनों से हो रही मूसलधार बारिश एवं कोसी बैराज से छोड़े गये पानी से अनुमंडल के आलमनगर एवं चौसा प्रखंड के दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में आ गये हैं. वहीं प्रखंड मुख्यालय से सड़क संपर्क भंग हो जाने से लोगों को जहां भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं प्रशासन द्वारा पर्याप्त मात्र में नाव उपलब्ध नहीं कराये जाने से लोगों में रोष व्याप्त है. आलमनगर प्रखंड के रतवारा, गंगापुर, खापुर व चौसा प्रखंड के फुलौत पूर्वी, फुलौत पश्चिमी एवं मोरसंडा पंचायतों के लगभग दो दर्जन गांव बाढ़ के पानी से घिर चुका है.

40 परिवार बाढ़ के पानी से विस्थापित

आलमनगर प्रखंड के रतवारा पंचायत के मुरौत विस्थापित लगभग 40 परिवारों के घरों में पानी आ जाने से लोग कला मंच व मनरेगा भवन में शरण लिये हुए है. आलगनगर प्रखंड के मुरौत, कपसिया, सुखाड़ घाट, रतवारा, ललिया वासा, छतौना वासा व चौसा के सपनी, पनदही वासा, झंडापुर वासा, घसक पुर, करैल वासा, नवटोलिया सहित दर्जनों गांव को बाढ़ की पानी ने चारों तरफ से घेर लिया है. इससे लोगों को अपनी दिन चर्या की वस्तु खरीदने में भी परेशानी हो रही है.

स्कूल में घुसा बाढ़ का पानी

चौसा प्रखंड के फुलौत स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय तीयर टोला में बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाने से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है. वहीं शिक्षकों द्वारा विद्यालय बंद नहीं किये जाने से अभिभावकों में डर है. अभिभावकों ने प्रशासन से वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की है.

विस्थापितों ने लगाया प्रशासन पर आरोप

आलमनगर प्रखंड के मुरौत विस्थापित जो पांच साल पूर्व कटाव से विस्थापित हो कर नये सिरे से अपना आशियाना बना कर जीवन यापन कर रहा था. उनके घरों में पानी घुस जाने से पुन: विस्थापित रहने को विवश हो गये है.

विस्थापित बिजली सिंह, नरेश सिंह, मलाकार सिंह सहित अन्य लोगों ने बताया कि प्रशासन द्वारा हमलोगों को न तो नाव उपलब्ध करवाया गया है और न ही प्रशासन ने अभी तक सुधी ली है. ऐसे में हमलोग भगवान भरोसे खाना बदोश की जिंदगी जीने को विवश हैं.

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