पांच वर्ष बाद भी झेल रहे वस्थिापन का दंश

पांच वर्ष बाद भी झेल रहे विस्थापन का दंश2010 में आये प्रलयंकारी बाढ़ के बाद विस्थापित हुए थे सैकड़ों परिवार शिक्षा के अभाव में इनके बच्चों का भविष्य बरबाद हो रहा फोटो -01कैप्सन- स्पर पर बसे विस्थापित परिवार.प्रतिनिधि, सरायगढ़वर्ष 2010 में आये प्रलयंकारी बाढ़ के बाद विस्थापित हुए सैकड़ों परिवारों को आज तक पुनर्वासित नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 17, 2015 6:36 PM

पांच वर्ष बाद भी झेल रहे विस्थापन का दंश2010 में आये प्रलयंकारी बाढ़ के बाद विस्थापित हुए थे सैकड़ों परिवार शिक्षा के अभाव में इनके बच्चों का भविष्य बरबाद हो रहा फोटो -01कैप्सन- स्पर पर बसे विस्थापित परिवार.प्रतिनिधि, सरायगढ़वर्ष 2010 में आये प्रलयंकारी बाढ़ के बाद विस्थापित हुए सैकड़ों परिवारों को आज तक पुनर्वासित नहीं किया गया है. इस वजह से विस्थापित परिवार कोसी तटबंध, स्पर व एनएच 57 के किनारे शरण लेकर खानाबदोश की जिंदगी जीने को विवश हैं. पांच वर्ष बीतने के बाद भी स्थिति यह है कि सरकार एवं प्रशासन द्वारा इन परिवारों को बसाने की दिशा में अथवा मूलभूत सुविधा मयस्सर कराने की व्यवस्था नहीं की गयी है. वर्षों की मेहनत के बाद बनाये गये इनके आशियाने कोसी की मुख्य धारा में बह गये. वहीं उपजाऊ भूमि के नदी की धारा में समा जाने के बाद इन्हें दो जून की रोटी तक नसीब नहीं हो पा रही है. हालात यह हैं कि शिक्षा के अभाव में इनके बच्चों का भविष्य बरबाद हो रहा है. शिक्षा ग्रहण करने के उम्र में इन परिवारों के बच्चे पेट पालने के लिए मजदूरी में अपने माता-पिता का हाथ बंटाते हैं. ऐसा लगता है कि इन्हें सरकार व प्रशासन द्वारा अपने हाल पर छोड़ दिया गया है.अभिशाप बना कोसी महासेतुकेंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना इस्ट-वेस्ट कॉरीडोर के तहत निर्मित एनएच 57 कोसी व मिथिलांचल के मिलन में वरदान साबित हुआ, तो इन परिवारों के लिए यह अभिशाप बन कर रह गया. कोसी महासेतु के निर्माण के बाद इसकी सुरक्षा के लिए बनाये गये गाइड बांध के बाद प्रखंड के बनैनियां, बलथरवा, कटैया, भुलिया, औरही, सनपतहा, नेहालपट्टी, गौरीपट्टी, सियानी का अस्तित्व ही समाप्त हो गया. कई अन्य गांवों के लोगों को भी व्यापक पैमाने पर क्षति उठानी पड़ी. सैकड़ों घर नदी की तेज धारा में बह गये. वहीं सैकड़ों एकड़ उपजाऊ भूमि नदी में समा गयी.किसी ने नहीं ली सुधि विस्थापित होने के बाद इन परिवारों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया.सरकार, प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से उन्हें केवल आश्वासन ही मिला. सरकारी स्तर से ना तो इन्हें मुआवजा ही दिया गया और ना ही बसने के लिए जमीन ही उपलब्ध करायी गयी. लिहाजा परिवार के भरण पोषण व जीविकोपार्जन के लिए इन विस्थापित परिवारों के अधिकांश पुरुष सदस्य दूसरे राज्यों को पलायन कर चुके हैं. अब यहां केवल महिला व बच्चे ही मौजूद हैं, जो दूसरे के खेतों में मजदूरी कर किसी प्रकार से जीवन यापन कर रहे हैं.दोहरी मार झेल रहे हैं विस्थापित कोसी महासेतु एवं गाइड बांध के निर्माण के बाद कोसी नदी ने अपनी धारा बदली, जिसके बाद प्रखंड क्षेत्र के कई पंचायतों के सैकड़ों एकड़ जमीन नदी में समा गयी. आज भी उक्त भूमि में नदी प्रवाहित हो रही है. सबसे दिलचस्प बात यह है कि जिस जमीन से इन विस्थापित परिवारों को वर्तमान समय में किसी प्रकार का लाभ नहीं मिल रहा है, उन्हें उस जमीन का भी टैक्स चुकाना पड़ रहा है. विस्थापित परिवारों ने बताया कि उक्त जमीन के एवज में बैंकों द्वारा ऋण भी नहीं दिया जा रहा है. एक तो विस्थापन का दंश और ऊपर से मालगुजारी भरने के कारण विस्थापित परिवार दोहरी मार झेलने को विवश हैं.6200 परिवार हुए थे विस्थापित सरकारी रिपोर्ट के अनुसार बाढ़ व कटाव से प्रखंड के कुल 6200 परिवार विस्थापित हुए थे. सरकार द्वारा इन्हें पुनर्वासित करने के लिए चिन्हित किया गया था. काफी जद्दोजहद के बाद इनमें शामिल महादलित परिवारों को तीन डिसमिल जमीन दे कर बसाने की कवायद आरंभ की गयी, लेकिन हालात हैं कि अब तक कुल 1248 दलित व महादलित परिवारों को ही तीन डिसमिल जमीन उपलब्ध कराया जा सका है. शेष विस्थापित परिवारों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया.अभियान बसेरा का भी नहीं मिला लाभसरकार की योजना अभियान बसेरा के तहत भूमिहीन व विस्थापित परिवारों को बसाने का कार्य आरंभ किया गया, लेकिन इस अभियान की सफलता में सबसे बड़ी बाधा भूमि की अनुपलब्धता बतायी जा रही है. इस योजना के तहत सरकारी स्तर पर भूमि क्रय कर भूमिहीन परिवारों को बसाया जाना है. सूत्रों के अनुसार भूमि की अधिक कीमत रहने एवं सरकारी द्वारा निर्धारित दर काफी कम रहने के कारण किसान अपनी जमीन बेचना नहीं चाहते, जिसका असर इस योजना पर पड़ रहा है. कुल मिला कर कोसी तटबंध के भीतर बसे लोग उस दिन को कोस रहे हैं, जिस दिन पूर्वी व पश्चिमी कोसी तटबंध का निर्माण हुआ था.कोट———- सरकार की क्रय नीति, बासगीत परचा, अनावाद बिहार सरकार, अनावाद सर्व साधारण आदि स्रोतों से 1248 परिवारों को बसाया गया है. अभियान बसेरा के तहत 326 परिवारों का सर्वेक्षण किया गया है. शरत मंडल, अंचलाधिकारी, सरायगढ़-भपटियाही

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