जदिया : अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोरियापट्टी संसाधन के अभाव में खुद बीमार है. स्थापना काल के बाद से अब तक इस स्वास्थ्य केंद्र की सूरत व सीरत में खास परिवर्तन नहीं हुआ है.एक ओर जहां सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था में आमूल.चूल परिवर्तन लाने के गरज से सरकार प्रयत्नशील है.
वहीं कोरियापट्टी स्थित यह एपीएचसी विभागीय उपेक्षा का शिकार बन कर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. नतीजतन लोगों को निजी क्लिनिक अथवा कई किलोमीटर दूर अन्य सरकारी अस्पताल जाने की विवशता बनी हुई हैएनएम के भरोसे चल रहा स्वास्थ्य केंद्रएक बड़ी आबादी के लिए यहां उपचार का कोई बंदोबस्त नहीं है.चकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों के अभाव के कारण इस स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों के उपचार का जिम्मा छह एएनएम व एक परिचायक मो इसलाम के कंधों पर है.
सबसे विकट स्थिति तब उत्पन्न होती है जब शाम चार बजे के बाद सभी एएनएम अपने त्रिवेणीगंज स्थित आवास लौट जाती है. क्योंकि उनके रहने के लिए यहां किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं है.स्थिति में शाम के बाद स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने वाले मरीजों को निराशा ही हाथ लगती है और उन्हें न चाहते हुए भी निजी क्लिनिकों का रुख करना पड़ता है.नहीं उपलब्ध है जीवन रक्षक दवास्वास्थ्य केंद्र में मेट्रोन,अल्वेंडाजोल व टेरामायसिन को छोड़ कर एक भी जीवन रक्षक दवा उपलब्ध नहीं है.
नतीजतन लोगों को बाहर से दवा खरीद कर लाना पड़ता है.वहीं आउट सोर्सिंग के तहत कार्यरत एनजीओ की मनमानी चरम पर है. इस संस्था द्वारा मरीजों को भोजन उपलब्ध नहीं करवाने के बावजूद कागजों पर ही लाखों का फर्जी वाड़ा किया जा रहा है.सतरंगी चादर यहां आने वाले मरीजों के लिए सपना मात्र है. वहीं साफ.सफाई पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
एनजीओ की इस मनमानी से अधिकारी भी वाकिफ हैं.लेकिन किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है.चिकित्सक व कर्मियों का है घोर अभावजर्जर भवन में संचालित इस स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों का घोर अभाव है.
हाल के दिनों में उपचार कराने के लिए आने वाले मरीजों की संख्या में काफी वृद्धि दर्ज की जा रही है.करीब दो दशक पूर्व इस स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी पर्याप्त संख्या में पदस्थापित थे. लेकिन आबादी बढ़ने के साथ.साथ मरीजों की संख्या में हुई वृद्धि के बावजूद विभाग द्वारा सुविधा बढ़ाने के बजाय इसमें कटौती ही की जा रही है.