अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य आज
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य आज फोटो – 16,17,18,19,20कैप्सन – खरना के लिए प्रसाद तैयार करती महिला, पूजन सामग्री खरीदारी करते लोग, बाजार में उमड़ी भीड़, भीड़ को संभालने में जुटी पुलिस, छठ व्रती का फाइल फोटो.प्रतिनिधि, सुपौलकोसी इलाके में आयोजित होने वाले चार दिवसीय छठ त्योहार के दूसरे दिन हर्षोल्लास के साथ खरना पूजा का […]
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य आज फोटो – 16,17,18,19,20कैप्सन – खरना के लिए प्रसाद तैयार करती महिला, पूजन सामग्री खरीदारी करते लोग, बाजार में उमड़ी भीड़, भीड़ को संभालने में जुटी पुलिस, छठ व्रती का फाइल फोटो.प्रतिनिधि, सुपौलकोसी इलाके में आयोजित होने वाले चार दिवसीय छठ त्योहार के दूसरे दिन हर्षोल्लास के साथ खरना पूजा का कार्य संपन्न हुआ. खरना पूजा को लेकर बच्चों में उत्साह का माहौल बना रहा. व्रतियों द्वारा सूर्य देव के निमित्त विधान पूर्वक गुड़ व चावल सहित अन्य सामग्रियों से तैयार किये गये प्रसाद को चढ़ाया गया. साथ ही परिवारों की सुख – समृद्धि की कामना की गयी. पूजा के उपरांत श्रद्धालुओं ने खरना का प्रसाद ग्रहण कर सूर्य देव से बिना व्यवधान के त्योहार को सफल बनाये जाने का याचना किया गया. कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को डूबते यानी अस्ताचल गामी तथा इसी पक्ष के सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को व्रतियों द्वारा अर्घ्य दिया जायेगा. क्षेत्र अनुरूप त्योहार मनाने का तरीकाधरती पर हजारों प्रकार के सजीव प्राणी अपने मनोनुकूल जीवन जी रहे हैं. लेकिन सभी जीवों में एक सत्ता निहित है. जिससे सभी का जीवन निर्धारित रूपों से चल रहा है. ईश्वर एक है. अच्छे जीवन जीने के लिए सभी जीव ईश्वर के अलग – अलग स्वरूपों को वरण कर आराधना करते आ रहे हैं. यहां तक कि कई त्योहार के नाम एक है लेकिन उसके मनाने का तरीका अलग – अलग है. छठ त्योहार में ही कुछ जगहों पर एक ही प्रसाद रूपी सामग्री लेकर व्रतियों द्वारा डूबते व उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जबकि कई स्थानों पर संध्या व सुबह अलग – अलग प्रसाद चढ़ाये जाने की परंपरा रही है.छठी मइया सहित उषा व प्रत्युषा की पूजाछठ त्योहार के मौके पर भगवान सूर्य के साथ – साथ उनकी पत्नी प्रत्युषा व उषा की आराधना किये जाने की परंपरा है. मालूम हो कि सूर्य के सूर्यास्त का समय उनकी पत्नी प्रत्युषा तो सूर्योदय को उषा का स्वरूप माना जाता है, जबकि छठी मइया सूर्य की बहन के रूप में विद्यमान है. छठ त्योहार का संबध पौराणिक काल से ही लोक जीवन से जुड़े होने की भी मान्यता रही है. एक कथा के अनुसार धरती पर आसुरी शक्तियां शक्तिशाली हो रही थी. जिसे रोकने के लिए देवताओं ने सेनानायक के रूप में भगवान शिव व पार्वती के कनिष्ठ पुत्र कार्तिकेय को चुना. इस दौरान माता पार्वती ने कार्तिकेय के युद्ध के प्रस्थान करने के उपरांत एक नदी तट पर पहुंच कर सेनाओं और अपने पुत्र की मंगल कामना के लिए अस्ताचल गामी सूर्य को अर्ध देकर पूजन व निर्जला व्रत भी धारण किया. साथ ही सूर्यदेव के समक्ष प्रण लिया कि उनका पुत्र विजयी होकर सकुशल लौटे तो वे पुन: विधिवत अर्ध देकर पूजा अर्चना कर निर्जला व्रत को भंग करेगी. वहीं कार्तिकेय के असुर संग्राम से विजयी होने के उपलक्ष्य में लिए गये प्रण के मुताबिक माता पार्वती ने निष्ठा पूर्वक निर्जला व्रत रख कर सूर्यदेव की आराधना किया और प्रात: काल पूर्व दिशा से क्षितिज पर सूर्य देवता अवतरित हुए , जहां माता पार्वती ने दूध व जल से अर्घ्य देकर अपना निर्जला व्रत को तोड़ा. दर्जनों सामग्रियों से दिया जाता अर्घ्यपंचतत्व यानी पृथ्वी,जल, अग्नि, वायु, आकाश के समन्वय से धरती पर अनेकों प्रकार की पेड़- पौधे व जीव दृष्टिगत है. साथ ही सभी का स्थान विशेष पर अलग महत्व है. वैसे तो सभी त्योहारों का अपना अलग महत्व रहा है, लेकिन चार दिवसीय इस छठ त्योहार में प्राकृतिक वस्तुओं की महत्ता अधिक रही है. लोक आस्था के त्योहार छठ में व्रतियों द्वारा फल- फूल व अदरख, हल्दी, गन्ना, मूली, सूथनी सहित अन्य पौधे को लेकर भगवान आदित्य को अर्घ्य दिया जाता रहा है.न होता पंडित और न ही यजमान चार दिवसीय त्योहार में न तो पंडित की भूमिका दिखती है और न ही यजमान. यह त्योहार पूर्णत: महिला भक्तजनों द्वारा की जाती रही है. वहीं कुछ मन्नत प्राप्त पुरुष श्रद्धालु द्वारा दंड प्रणाम देकर सूर्यदेव की आराधना किया जा रहा है. व्रतियों ने बताया कि छठ त्योहार को नियम निष्ठा पूर्वक करने से असाध्य रोगों से मुक्ति, संतति की प्राप्ति, पारिवारिक एवं शारीरिक सुख शांति, धन- धान्य की प्राप्ति के साथ ही कठिनाई व अन्य समस्याओं से मुक्ति मिलती है. हुई पूजन सामग्री की खरीदारीत्योहार को लेकर श्रद्धालुओं ने मुख्यालय स्थित बाजार में व्यापक पैमाने पर खरीदारी की. इस कारण बाजार में व्यापक रूप से लोगों की चहल पहल बनी रही. सामग्रियों की खरीदारी में भीड़ इतनी थी कि स्थानीय पुलिस बलों को काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा. त्योहार के मद्देनजर पुलिस प्रशासन द्वारा बाजार सहित हरेक चौक चौराहे पर गश्त लगाते देखा गया. साथ ही भीड़ भाड़ वाले इलाके में भारी वाहनों पर रोक लगा दी गयी थी, ताकि खरीदारी करने आये श्रद्धालुओं को आवाजाही में परेशानी का सामना न करना पड़े. सोमवार को मुख्यालय में हाट लगाया जाता है. इस कारण आम दिनों की भांति लोगों का चहल पहल ज्यादा होती है, लेकिन छठ त्योहार को लेकर बाजार में रेहड़ी, फुट कर सहित अन्य दुकानदारों से लेकर आम जनों की काफी वृद्धि देखी गयी.