महासेतु पर रोशनी की नहीं है व्यवस्था, चालकों को परेशानी

सरायगढ़ : इस्ट वेस्ट कॉरिडोर के तहत निर्मित एनएच 57 पथ पर कोसी नदी पर स्थित महासेतु पर रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं रहने के कारण वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सबसे अधिक परेशानी रात के समय होती है, जब महासेतु के नीचे पानी रहने के कारण छाये धुंध के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2015 6:42 PM

सरायगढ़ : इस्ट वेस्ट कॉरिडोर के तहत निर्मित एनएच 57 पथ पर कोसी नदी पर स्थित महासेतु पर रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं रहने के कारण वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सबसे अधिक परेशानी रात के समय होती है, जब महासेतु के नीचे पानी रहने के कारण छाये धुंध के बीच चालकों को वाहन पार कराना पड़ता है

. यह स्थिति तब है जब इस महा सेतु के रास्ते प्रतिदिन हजारों वाहनों का परिचालन होता है.08 फरवरी, 2012 को हुआ था उद्घाटनकरोड़ों की लागत से निर्मित इस महासेतु का वर्ष 2003 में प्रारंभ हुआ था. तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने निर्मली में 06 जून 2003 को इस महासेतु का शिलान्यास किया गया था.

तकरीबन चार सौ करोड़ की लागत से निर्मित यह महासेतु करीब नौ वर्षों में बन कर तैयार हुआ. आठ फरवरी 2012 को तत्कालीन केंद्रीय मंत्री डॉ सीपी जोशी द्वारा इस महासेतु का उद्घाटन किया गया. रोशनी की नहीं है व्यवस्था इस महासेतु का निर्माण गेमन इंडिया कंपनी द्वारा किया गया. निर्माण के दौरान महासेतु के मध्य 64 एलइडी लाइट लगाये गये.

उदघाटन के बाद करीब एक सप्ताह तक इन लाइटों से महा तु रौशन हुआ. इसके बाद इन लाइटों में विद्युत आपूर्ति बहाल करने की दिशा में किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गयी. नतीजा है कि करीब तीन वर्षों से महासेतु पर लगा सभी 64 लाइट बेकार पड़ा है.

उदासीन है निर्माण कंपनी जानकारी अनुसार निर्माण कंपनी गेमन इंडिया को गाइड बांध, 10.65 किलोमीटर एन एच 57 एवं सड़क महा सेतु के रख रखाव की जवाबदेही है. कंपनी को वर्ष 2027 तक के लिए रख रखाव व मरम्मती का कार्य करना है.

लेकिन स्थिति यह है कि निर्माण कंपनी महासेतु निर्माण के बाद से अपनी जवाबदेही के प्रति उदासीन बना हुआ है. जबकि मेंटनेंस के मद में प्रति वर्ष एनएचएआइ द्वारा भुगतान किया जा रहा है. कंपनी की इस उदासीन रवैये के कारण महासेतु पर कई बार दुर्घटना घटित होती रही है. बावजूद कंपनी द्वारा रोशनी उपलब्ध कराने की दिशा में पहल नहीं की गयी है.

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