13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

चिकत्सिक व कर्मी की वजह से बदहाल पीएचसी

चिकित्सक व कर्मी की वजह से बदहाल पीएचसी फोटो-04,05,06,कैप्सन-अस्पताल कैंपस में घास चरता पशु, ड्रेसिंग मरीज को देखता कर्मी, कतार में खड़े मरीज.प्रतिनिधि, प्रतापगंजप्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अपने बदहाली के आंसू बहा रहा है. यहां चिकित्सकों, कर्मी व संसाधन का अभाव है. बदहाली का आलम यह है कि यहां के मरीजों को इलाज कराने के लिए […]

चिकित्सक व कर्मी की वजह से बदहाल पीएचसी फोटो-04,05,06,कैप्सन-अस्पताल कैंपस में घास चरता पशु, ड्रेसिंग मरीज को देखता कर्मी, कतार में खड़े मरीज.प्रतिनिधि, प्रतापगंजप्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अपने बदहाली के आंसू बहा रहा है. यहां चिकित्सकों, कर्मी व संसाधन का अभाव है. बदहाली का आलम यह है कि यहां के मरीजों को इलाज कराने के लिए टाटा द्वारा निर्मित बाढ़ आश्रय स्थल का सहारा लेना पड़ता है. तीन लाख लोगों के स्वास्थ्य सुविधा के लिए 06 अगस्त 2007 को इसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा मिला था. इससे लोगों को आश जगी कि लोगों को आधुनिक चिकित्सा सुविधा मिल सके. लेकिन पीएचसी का दर्जा प्राप्त होने के बाद भी अस्पताल में चिकित्सा सुविधा बदहाल है. साथ ही अस्पताल में चहारदीवारी नहीं होने से कैंपस चारागाह बन गया है.सृजित पद से कम हैं चिकित्सक व कर्मी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की दर्जा मिलने के बाद भी इस अस्पताल में चिकित्सकों के कुल आठ सृजित पद है. इसके विरुद्ध यहां केवल तीन चिकित्सक ही पदस्थापित है. आठ एएनएम में सिर्फ चार पदस्थापित हैं. जीएनएम का 16 पद रिक्त हैं, जिसमें केवल नौ पदस्थापित हैं. जबकि महिला गायनोक्लोजिस्ट पद रिक्त है. ड्रेसर, भंडार पाल, फर्मासिस्ट एवं कंपाउंडर के सभी पद रिक्त है. टेक्निशियिन के दो सृजित पद हैं, जिसमें मात्र एक पदस्थापित हैं. वार्डो की है भारी कमीमरीजों को रखने के लिए अस्पताल में वार्ड की भी किल्लत है. अस्पताल में एक भी एक भी जेनेरल वार्ड नहीं है. प्रसव के लिए 12 बेड की आवश्यकता है. इसमें मात्र छह बेड हैं. जबकि यहां प्रसव के लिए प्रतिदिन 10 महिलाएं आती है. इसके लिए कुसहा त्रासदी के बाद बाढ़ प्रभावित लोगों की चिकित्सा व्यवस्था टाटा द्वारा बनाया गया बाढ़ आश्रय स्थल में प्रसव के बाद महिलाओं को रखा जाता है. कहते हैं चिकित्सकप्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी हरेंद्र कुमार साहु ने बताया कि चिकित्सकों व कर्मियों की कमी के चलते परेशानी झेलनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि संसाधन व कर्मियों के अभाव की वजह से काफी होती है. बावजूद किसी तरह चिकित्सा से संबंधित कार्यों का निबटारा किया जाता है. चिकित्सक की कमी व कर्मियों के अभाव की बाबत विभाग को लिखा गया है.दो माह से नहीं है एंटी रैबीज दवा कार्यरत एच एम नौशाद ने बताया कि दो माह से अस्पताल में एंटी रैबीज की दवा उपलब्ध नहीं है. इसके कारण रैबिज वाले रोगी की संख्या ज्यादा है. मरीजों को किसी दूसरे अस्पताल के शरण में जाना पड़ता है.क्या कहते हैं मरीजप्रसव के लिए आये मरीज सोनिया देवी के परिजन नीलम देवी बताती हैं कि वे लोग गरीब परिवार से हैं. इसलिए निजी अस्पताल में इलाज कराना संभव नहीं है. हमलोगों की लाचारी है सरकारी अस्पताल में इलाज कराना. लेकिन यहां रोगी को ठहरने के लिए व्यवस्था के साथ कई समस्या है जिसका सामना यहां के मरीजों को करना पड़ता है. सूर्यापुर निवासी अफसाना खातून बताती हैं कि मरीजों को ठहरने के लिए बेड के साथ कई समस्याओं का सामना यहां के रोगियों को करना पड़ता है. उसने बताया कि एक माह पूर्व प्रसव के बाद भी जननी बाल सुरक्षा की राशि अब तक नहीं मिली है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें