सरकारी उदासीनता के कारण किसान बिचौलिये के हाथों फसल बेचने को विवश

सरकारी उदासीनता के कारण किसान बिचौलिये के हाथों फसल बेचने को विवश छातापुरसरकार द्वारा धान अधिप्राप्ति में हो रहे विलम्ब तथा बोनस की घोषणा अबतक नही किये जाने के कारण किसान औने पौने दामों में धान बेचने को विवश हैं. मालूम हो कि रबी फसल की बुआई की गरज से धान बेचना किसानों कि मजबुरी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2015 7:51 PM

सरकारी उदासीनता के कारण किसान बिचौलिये के हाथों फसल बेचने को विवश छातापुरसरकार द्वारा धान अधिप्राप्ति में हो रहे विलम्ब तथा बोनस की घोषणा अबतक नही किये जाने के कारण किसान औने पौने दामों में धान बेचने को विवश हैं. मालूम हो कि रबी फसल की बुआई की गरज से धान बेचना किसानों कि मजबुरी है. किसानों को अनाज का उचित कीमत मिले इसे लेकर सरकारी स्तर से समर्थन मूल्य तय कर पैक्स, व्यापार मंडल तथा एसएफसी को धान खरीद के लिये जिम्मेवारी दी गई है. हद तो इस बात की है कि समर्थन मूल्य के अलावे किसानों को दी जाने वाली बोनस राशि भी अब तक सरकार द्वारा तय नहीं किया गया है. जिसका नतीजा है कि रबी फसल लगाने तथा अपने जरूरतों को पुरा किये जाने के कारण लघु व सीमांत किसानों ने अपना धान औने – पौने धान को बेच रहे हैं. परिणाम स्वरूप किसानों के अनाज को उचित कीमत नही मिल पाया. स्थिति यह है कि सरकार से प्राप्त लक्ष्य को पुरा करने के लिये क्रय एजेंसी पूर्व की तरह बिचौलिये का धान क्रय कर उसे मालामाल करेगी. अधिप्राप्ति में बाधक है नया प्रावधान लक्षमिनियां पैक्सअध्यक्ष मो फिरोज आलम ,लालगंज पैक्स अध्यक्ष रंजीत कुमार रमण, माधोपुर पैक्स अध्यक्ष ललन कुमार भूस्कुलिया आदि ने बताया कि धान अधिप्राप्ति के लिये सरकार द्वारा तय किया गया नया प्रावधान पैक्सों के लिये सिरदर्द बना हुआ है. पैक्सों से चावल मात्र की अधिप्राप्ति परेशानी का सबसे बड़ा कारण है. बताया कि सरकार एक क्विंटल धान में 67 किलो चावल की मॉग करती है जबकि मिलर 60 किलो तक ही देने की बात करते है. उस पर भी एक क्विंटल चावल तैयार करने में मिलर को 160 रुपये देने पड़ेंगे. इस हिसाब से पैक्सों को प्रति क्विंटल चावल तैयार करने पर 250 रुपए खर्च करने पड़ेंगे. बताया कि तय समर्थन मूल्य 1410 रुपए प्रति क्विंटल की दर से किसानों का धान क्रय किया जाना है. जबकिपैक्सों को चावल तैयार कर राज्य खाद्य निगम को बेचनें मे प्रति क्विंटल 250 रुपए का घाटा होगा. ऐसी परिस्थिति में पैक्स धान की खरीदारी करने से परहेज बरत रहा है. कहते हैं किसान घीवहा निवासी किसान विजेन्द्र यादव, कुंदन यादव, बबलू पाठक ,लक्षमीपुर खूंटी निवासी पंकज कुमार साह ,श्रीनारायण यादव ,शंभू परिहस्त, मुख्यालय निवासी संजय वहरखेड़, प्रमोद वहरखेड़ ,संतोष भगत, मुरलीधर साह आदि ने बताया कि जमींदार को छोड़ कर लघु व सीमांत किसानों का धान बिचौलिये के गोदामों की शोभा बढ़ा रहे हैं. बताया कि वे सभी कर्ज के बोझ तले दबे रहने के कारण किसान फसल की तैयारी करते ही बेचने को विवश होते हैं. बताया कि नवंबर माह के प्रथम सप्ताह से ही फसल की तैयारी शुरू हो जाती है. दिसंबर का अंतिम सप्ताह भी खत्म हो चूका है. सरकार के गलत नीति व उदासीन रवैये का शिकार तो किसान समय समय पर होते रहे हैं. किसानों को खुशहाल बनानें के लिये सरकार भले ही नित नये दावे करती रही हो लेकिन इस दिशा में सार्थक पहल करने में सरकारी मुलाजिम अबतक असफल ही रहे हैं.

Next Article

Exit mobile version