2012 में पूरा होना था तटबंध
339 करोड़ की लागत से 26 दिसंबर 2009 को किया गया था योजना का शुभारंभ कोसी तटबंध के ऊंचीकरण, पक्कीकरण एवं चौड़ीकरण का कार्य निर्धारित अवधि बीत जाने के बावजूद पूरा नहीं हो पाया है. वहीं अब स्थिति यह है कि जिले में ना तो निर्माण कंपनी के अधिकारी और ना ही कर्मी ही नजर […]
339 करोड़ की लागत से 26 दिसंबर 2009 को किया गया था योजना का शुभारंभ
कोसी तटबंध के ऊंचीकरण, पक्कीकरण एवं चौड़ीकरण का कार्य निर्धारित अवधि बीत जाने के बावजूद पूरा नहीं हो पाया है. वहीं अब स्थिति यह है कि जिले में ना तो निर्माण कंपनी के अधिकारी और ना ही कर्मी ही नजर आते हैं और ना ही कार्य में लगी मशीन व वाहन. निर्माण कंपनी के मनमानी की वजह से कोसी क्षेत्र के लोगों की मुश्किलें काफी बढ़ गयी है.
पंकज झा
सुपौल : पूर्वी एवं पश्चिमी कोसी तटबंध के ऊंचीकरण, पक्कीकरण एवं चौड़ीकरण का कार्य निर्धारित अवधि बीत जाने के बावजूद पूरा नहीं हो पाया है. आलम यह है कि कार्य समाप्ति की तिथि को चार वर्ष बीत जाने के बावजूद अधिकांश जगहों पर मिट्टी का कार्य भी पूरा नहीं किया जा सका है.
वहीं अब स्थिति यह है कि जिले में ना तो निर्माण कंपनी के अधिकारी और ना ही कर्मी ही नजर आते हैं और ना ही कार्य में लगी मशीन व वाहन. ऐसा प्रतीत होता है कि कोसी तटबंध को अपने हाल पर छोड़ दिया गया है. निर्माण कंपनी के मनमानी की वजह से कोसी क्षेत्र के लोगों की मुश्किलें काफी बढ़ गयी है. लोगों को यह भय सता रहा है कि जर्जर तटबंध की वजह से कहीं एक बार फिर कुसहा त्रासदी की पुनरावृति ना हो जाय.
2009 में हुआ कार्य प्रारंभ : वर्ष 2008 में कुसहा त्रासदी के दौरान मची तबाही को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा घटना की पुनरावृत्ति को रोकने के उद्देश्य से 339 करोड़ की लागत से 26 दिसंबर 2009 को इस योजना का शुभारंभ किया गया. तटबंध के ऊंचीकरण, पक्कीकरण व चौड़ीकरण कार्य की जिम्मेवारी देश के प्रसिद्ध कंस्ट्रक्शन कंपनी वशिष्ठा को सौंपी गयी.
निर्माण कंपनी द्वारा कार्य प्रारंभ भी किया गया. शुरुआती दौर में कुछ दूरी में जहां पक्कीकरण कार्य पूर्ण कर लिया गया. वहीं अधिकांश जगहों पर आज भी ऊंचीकरण का कार्य भी पूरा नहीं किया जा सका है. स्थिति यह है कि अब तो निर्माण कार्य स्थगित ही कर दिया गया. वजह चाहे जो भी हो लेकिन कार्य पूर्ण नहीं होने से अब कई तरह के सवाल खड़े होने लगे हैं.
भारत-नेपाल सीमा से सटे जिले के वीरपुर से सहरसा के कोपरिया तक 123 किलोमीटर की लंबाई में पूर्वी कोसी तटबंध के पक्कीकरण का कार्य किया जाना है. जबकि पश्चिमी कोसी तटबंध में नेपाल स्थित भारदह से लेकर घोघेपुर के बीच तटबंध के सुदृढ़िकरण एवं पक्कीकरण का कार्य किया जाना है.
इस कार्य को पूर्ण करने के लिए सरकार द्वारा 339 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गयी है. लेकिन देखरेख के अभाव में निर्माण कंपनी द्वारा मनमानी के तहत कार्य को अधूरा छोड़ दिया गया है. जिससे कोसी क्षेत्र के लोगों की मुश्किलें काफी बढ़ गयी है. लोगों को यह भय सता रहा है कि जर्जर तटबंध की वजह से कहीं एक बार फिर कुसहा त्रासदी की पुनरावृति ना हो जाय.